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૨૫૨ सोहग ऊपरि मंजरिय बीजी य सेत्रुजि उधारि । ................ठिय ए समरऊ ए समरऊ ए समरऊ आविउ गुजरात । पिपलालीय लोलियणे पुरे राजलोकु रंजेई । छडे पयाणे संचर ए राणपुरे राणपुरे राणपुरे पहुचेई वढवाणि न विलंबु किउ जिमिउ करीरे गामि । मंडलि होईउ पाडल ए नमियऊ ए नमियऊ ए नमियऊ नेमिसु जीवतसामि । संखेसर सफलीयकरणुं पूजिउ पासजिणि हो । सहजु साहु तहिं हरषियउ ए देषिऊ ए देषिऊ ए देषिऊ फणिमणिवृंदो ॥५॥ डुंगार डरिउ न खोहि खलिउ गलिउ न गिरवरि गयो। संघु सुहेलइ आणिउ ए संघपति ए संघपति संघपति परिहिं अपुवो ॥६॥ सज्जण सज्जण भिलिय तहिं आंगिहिं अंगु लियते । मनु विहसइ ऊलटु धणउ ए तोडरू ए तोडरू ए तोडरु कठि ठवते ॥७॥ मंत्रिपुत्रह मीरह मिलिय अनु ववहारियसार । संघपति संघु वधावियउ कंनिहिं ए कंठिहि ए कंठिहिं घालिय जयमाल । तुरियघाटतरवार य तहिं समरउ करइ प्रवेसु । भणहिलपुरि वद्धामणउ ए मभिनवु ए अभिनवु ए अभिनवु पुननिवासो ॥८॥ संवच्छरि इकहत्तर ए थापित रिसहजिणिंदो।
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