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दरिसणसउं देवालउ चल्लइ जिणसासणु जगि रंगिहि मल्हइ जगतिहिं आव्या सिवभुवणि ॥ ४ ॥ देव सोमेसर दरिसणु करेवी कवडिबारि जलनिहिं जोएवी प्रियमेलइ संघु ऊतरिउ। पहुचंदप्पहपय पणमेवी कुसुमकरंडे पूज रएवी जिणभुवणे उच्छवु कियउ ॥ ५ ॥ सिवदेउलि महाधज दीधी सेले पंचे वन्नसमिद्धी अपूखु उच्छवु कारविउ । जिनवरधरमि प्रभावन कीधी जयतपताका रवितलि बद्धी दीनु पयाणउं दीवभणी । कोडिनारि निवासणदेवी अंबिक अंबारामि नमेवी दीवि वेलाउलि आविय उए ॥ ६ ॥
एकादशी भाषासंघु रयणायरतीरि गहगहए गुहिरगंभीरगुणि । आविउ दीवनरिंदु सामुह उ ए संघपतिसबदु सुणि ॥ १ ॥ हरषिउ हरपालु चौति पहुतउ ए संघु मोलविकरे । पभणई दीवह नारि संघह ए जोअण ऊतावली ए । आउलां वाहिन वाहि वेगलइ ए चलावि प्रिय बेडुलीए ॥२॥
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