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दशमी भाषारितु अवतरियउ ताद जि वसंतो सुरहि कुसुम परिमक हो समाह बाजिय विज पढक्क । सागु सेलु सल्लइ सच्छाया केसूय कुडय कयंब निकाया संघसेनु गिरिमाहइ वहए। बालीय पूछइं तरुवरनाम वाटइ आवई नव नव गाम नयनी झरण रमाउलई ॥ १ ॥ देवपटणि देवालउ आवइ संघह सरवो सरु पूरावह अपूरवरि जहिं एक हुई। तहिं आवइ सोमेसरछत्तो गउरख कारणि गरुउ पहूतो आपणि राणउ मूधराजो ॥ २ ॥ पान फूल कापड बहु दीजई लूणसमउं कपूरु गणीजह जबाधिहिं सिरु लिंपियए । ताल तिविल तरविरियां वाजई ठामि ठामि थाकणा करीजई पगि पगि पाउल पेषण ए ॥ ३ ॥ माणुस माणुसि हियउं दलिजइ घोडे वाहिणि गाहु करिजइ हयगय सूझइ नवि जणह ।
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