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ठामि ठामि उच्छव हुअइ मा गढि जूनइ संपत्तु । महिपालदेउ राउलु आवए मा० सामुहउ संघ अणुरत्तु ॥ ३ ॥ महिपु समरु बिउ मिलिय सोहई मा० इंदु किरि अनइ गोविंदु । तो अंगजिउ तेजलपुरे मा० पूरिउ संघ आणंदु ॥ ४ ॥ वउणथली चेत्रप्रवाडि करे मा० तलहटीय गढमांहि । ऊजिलऊपरि चालिया ए मा० चउठिवहसंघह माहि । दामोदरु हरि पंचमऊ मा० कालमेघो क्षेत्रपालु। सुवनरेहा नदी तहिं वहए मा० तरुवरतणउं झमालु ॥ ५ ॥ पाज चडता धामियह मा० ऋमिक्रमि सुकृत विलसति । ऊचिय चडिय ए गिरिकडणि मा० नीचीय गति षोडंति ॥ ६ ॥ पामिउ जादवरायभुवणु मा० त्रिनि प्रदक्षिण देई । सिवदेविसुतु भेटिउ करियु मा० ऊतरिया मढमाहि । कलस भरेविणु गयंदमए मा० नेमिहिं न्हवणु करेइ । पूज महाधन देउ करिउ मा० छत्र चमर मेल्हेइ ॥ ७ ॥ अंबाइ अवलोयणसिहरे मा० सांबिपज्जूनि चडंति । सहसारामु मनोहरु ए मा० विहसिय सवि वणराइ । कोइलसादु सुहावणउ ए मा० निसुणियइ भमरझंकारु ॥ ८ ॥ नेमिकुमरतपोवनु ए मा० दुठ्ठ जिय ठाउं न लहंति । इसइ तीरथि तिहुयणदुलभे मा० निसिदिनि दानु दियंति ॥९॥ समुदविजयराय कुलतिलय मा० वीनतडी अवधारि । आरतीमिसि भवियण भणई मा० चतुगतिफेरडउ वारि ॥ १० ॥ जइ जगु एक मुहु जोइयए मा० त्रिपति न पामियइ तोइ । सामलधीर तउं सार करे मा० वलि वलि दरसणु देजी ॥ ११ ॥ रलीय रेवयगिरि ऊतरिउ ए मा० समरडो पुरुष प्रधानु । घोडउ सीकिरि सांकलिय मा० राउल दियइ बहुमानु ॥१२॥
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