SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 283
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ૨૪૪ घरि बयसवि करी केवि मन्नाविया । केवि धम्मिय हरसि धम्मिय घाइया । बहुदिसि पाठविय कुंकुमपत्रिया। संघु मिलइ बहु भली य सज्जाइया ॥ २ ॥ सुहगुरुसिधसूरिवासि अहिसिंचउ। संघपति कल्पतरु अमिय जिम सिंचिउ । कुलदेवत सचिया वि भुजि अवतरह । सूहव सेस भरइं तिलकु मंगलु करई ॥ ३ ॥ पोस वदि सातमि दिवसि सुमुहुत्तिहिं । आदिजिणु देवाल ए ठविउ सुहचितिहिं । धम्मधोरीय धुरिधवल दुइ जुत्तया । कुंकुम पिंजरि कामधेनुपुत्तया ॥ ४ ॥ इंदु जिम जयरथि चडिउ संचार ए । सूहवसिरि सालिथालु निहाल ए। जा किउ हयवरो वसहु रासिउ हूउ । कहइ महासिधि सकुनु इहु लद्धउ । आगलि मुनिवरसंघु सावयजणा । तिलु न पिरइ तिम मिलिय लोय घणा ॥ ५॥ मादल वंस विणाझुणि वज्जए । गुहिर भेरीयरवि अंबरो गज्जए । नवयपाटणि नवउ रंगु अवतारिउ । सुषिहि देवालउ संखारि संचारिउ ॥ ६ ॥ घरि बयसवि करि केवि समाहिया । समर गुणि रंजिउ विरलउ रहियउ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004917
Book TitleJain Aetihasik Gurjar Kavya Sanchay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year1926
Total Pages504
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy