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________________ રજા पातसाहि सुरताणभीवु तहिं राजु करेई । अलपखानु हींदुअह लो घणु मानु जु देई || ९ || साहु राय सलह पूतु तसु सेवइ पाय । कला करी रंजविउ खानु बहु देइ पसाय || १० | मीरि मलिक मानियइ समरु समरथु पभणीजइ । पर उयारिय माहि लीह जसु पहिली य दीजइ ॥ ११ ॥ जेठ सहोदरि सहजपालि निजप्रगटिड सहजू | दक्षणमंडलि देवगिरिहि कि धम्मह वणिजू ॥ १२ ॥ चवीस जणालय जिणु ठविउ सिरिपासजिगिंदो | धम्म धुरंधरु रोपियउ घर धरमह कंदो || १३ || साहणु रहियउ षंभनयरि सायरगंभीरे । पुव्व पुरिस कीरिति तरंडु पूरइ परतीरे ॥ १४ ॥ तृतीय भाषा निसुणउ ए समइप्रभावि तीरथरायह गंजणउ ए । भवियह ए करुणारावि नीठुरमनु मोहि पडिउ ए । समरउ ए साहसवीरु वाहविलग्गउ बहू अ जण | बोलई ए असमवीरू दूसमु जीपइ राउतवट ए ॥। १॥ अभिमहू ए लियइ अविलंबु जीविय जुन्बणबाहबलि । उधर ए आदिजिणबिंबु नेमु न मेल्हउ आपणउ ए । भेटिऊ ए तउषानषानु सिरु धूणइ गुणि रंजियउ ए ॥ २ ॥ वीनती ए लागु लउ षानु पूछए पहुता केण कज्जे । सामिय ए निणि अडदासि आसालंबणु अम्हणउ ए । भइली ए दुनिय निरास ह ज भागीय हींदूअतणी ए । सामिय ए सोमनयणेहिं देखिउ समरा देइ मानु ॥ ३ ॥ ૩૧ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004917
Book TitleJain Aetihasik Gurjar Kavya Sanchay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year1926
Total Pages504
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size18 MB
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