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परिणाविउ दिक्खसिरि समरसिंह जिणकुसलसुहगुरि । जयजयरवु घणु उच्छलिउ उद्धरिङ गुरुवंसु । रूदपाल अनु धारलह नच्चई जगि जस हंसु ॥ २९ ॥
दिन्नु सोमप्पहोमुणि तस नामु सवणआणंदणं अमिय जिम | जिम जिम चरण आधार भरि सोहए मोहए दिक्खसिरि तेम तेम ||३०| पढइ जिणागमपमुह विज्जावली रलिय सेविज्जए गुणगणेहिं । अह टविउ वाणारिउ जेसलपुरे चउदछडुत्तरे सुहगुरंहिं ॥ ३१ ॥ सुविधियाचारि बिहारु करंतर वाणारिउ गणि सोमपहो । दुविहसिक्ख सुगयत्थु संजायउ गच्छगुरुभार उद्धरणसह। ॥ ३२ ॥ तयणु जिणचंद सूरिपट्टि संठाविउ सिरितरुणप्पहायरियराए । चदपरोतरे भतित्थे पुरे मास आसाढ वदि तेरसीए ॥ ३३ ॥ सिरिजिण उदयसुरि गरुयनामेण उदयउ भागसोभागणिधि । विहरए गूजर सिंधु मेवाडि पमुहदेसे रोपइ सुविधि ॥ ३४ ॥ घात - नामु निम्मिउ नामु निम्मिउ तासु अभिरामु | सोम मुणिरणु सगुरुपासि सो पढइ अहनिसि । वाणारिउ कमि हूयउ गच्छमारुबरु जाणि गुणवसि । सिरितरुणप्पहआयरिए सिरिजिणचंदह पाटि । थापि सिरिजिणउदयगुरु विहरइ मुणिवस्थाटि ।। ३५ ।। पंच इट जिणि सीस तेवीस चउद साहुणि घण संघवइ रहय । आयारिय उवज्झाय वाणायरिय ठविय महमहत्तरा पमुहपथि ॥ ३६ ॥ जेण रंजियमणा भणई पंडियजणा वलिवलि धूणिवि नियसिराई | कटरि गांभिरिमा कटरि वयधीरिमा कटार लावन्नसोहग्ग जायं ॥ ३७ कटरि गुणसंचयं कटरि इंदियजयं कटरि संवेगनिव्वेय रंगं । बापु देसणकला बापु मइ निम्मला बापु लीला कसायाण भंगं ॥ ३८ तस्स एह गुणगणं जैम तारायणं कहिउ किम सक्कउं एक जीह ।
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