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शब्द-कोषः शम्भव (पुं० )औनोना श्रीन तीर्थ २.
सकल (वि.)-समस्त. शय (पुं० )-हाथ.
सङ्कुल ( वि० )-व्यात. शर (पुं. मा.
सङ्गता (बी.)-सोमत. शरण (न.)-शर.
सङ्घ (पुं० )-समुदाय. शस्त्र (न०)-हथियार.
सज (वि० )-तैयार. शस्य (वि.)-प्रशंसा-पात्र.
सजन (पुं०)सन, सारो भास. शान्त (वि.)-शान्त.
सञ्चय ( पुं०)-समूड. शान्ति (पुं० ) नोना सोगमा तीर्थ:२.
सत् (वि.) शालनीय. शान्ति (स्त्री०)-भाक्ष.
सतत (वि० )-प्रतिक्षा. शासन (न० )-आज्ञा.
सततम् (अ.)महानिश, सहा. शिखण्डिन् (पुं०)-मो२.
सत्य (वि० ) सायं. शित (वि.)-ती.
सद ( १, प. विशरणगत्यवसादनेषु )ing. शिरस (न०)-मस्त.
सदा (अ.)-हमेशा. शिव (पुं० ) मोक्ष.
सदृश (वि० )-समान, तुक्ष्य. शिव (न०)-४८या.
सहण ( पुं० ) सारो गुप. शिव (वि.)स्यारी.
सद्मन् (न०)-गृह, शिशिर (वि.)-शीतल.
संतमस (न.)-गाट गंधा२. शी ( २, आ० स्वप्ने )-सुj.
सपदि (अ० ) मेहम. शीतल ( पुं.)ोनोना हशमा तीर्थ२.
सभा (स्त्री.) सभा. शुक्ल (वि.)-श्वेत.
सभाजन ( पुं० )-सत्य, समानो माणुस. शुच् ( स्त्री० )-शो.
सभाजन ( न०)-परोशागत. शुभ (वि.)-शुभ.
सम (वि.)=(1) तुझ्य; (२) साधारण शुलला (स्त्री० )-सim.
समन (वि.)-समस्त. शेखर (पुं० )-भुगट.
समम् ( अ०) साये. शोधन (पुं०)-शोध ४२ना२.
समय (पुं०) सिद्धान्त. श्याम (वि०)गो.
समवसरण (न.)धर्म-शनानुं स्थल. श्रम (पुं०)-था.
समस्त (वि.)-स. श्रि (१, ऊ. सेवायाम् )-आश्रय सतो.
समाधि (स्त्री.)-समाधि. श्री (स्त्री.)=(१) मानवाया श६; (२) १३भी.
समान (वि.)-तुझ्य. श्रीमत् (वि.)-श्रीयुत, धनि.
समुदाय (पुं० )-स. श्रु ( १, प० श्रवणे ) सांग
समृद्धि (स्त्री०)संपत्ति, वैभव. श्रुत ( न०)-श्रुत-शान.
सम्पद् (स्त्री०)3 , " श्रेय (वि.)-माश्रय ४२१। साय.
सम्पराय (पुं० )-38. श्रेयांस (पुं०)-ओनीना अग्यारमा तीर्थ :२.
सम्यग (अ.)-३ रीते.
सरीसृप (पुं०)-स. संवर (पुं० ) 0 .
सरोज (न० )-भग. संशय (पुं०)-संशय.
सलिल (न०) . संसद् (स्त्री०=सला.
सस्ज् ( १, ऊ० गतौ )स 2g. संसार (पुं०)मई सस्था .
सह (अ०)सहित. २३
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