________________
१७६
चतुर्विशतिका. वर्य (वि.)-प्रधान, भुज्य.
विश (६, ५० प्रवेशने)-प्रवेश ४२. वलक्ष (वि.)-घस, सहे.
विशद (वि.)-निर्भ. वलय ( न० )-मं .
विशाल (वि० )-विस्तारी. वल्लरी (स्त्री०)स.
विसर (पुं०)-समूड. वस् (१, प० निवासे)-२j.
विष्टप (न.)-भुवन. वसु (न०)-निधान, धन.
विहग (पुं० )पक्षी. वस्तु (न.)=4हार्थ.
वीज (१०, ऊ. व्यजने )=भो नामयो. वह (१,ऊ. प्रापणे)-धारण ४२.
वीत (वि.)गयेस. वा (अ.)- ने.
वीर (पुं० )-(१) तीर्थ४२; (२) बमोना योवीसभा वाच (स्त्री०)-आणी.
तीर्थ४२. वाजिन् (पुं०)-घे.
वृ (५, ऊ, वरणे)-५सं६ ४२. वाणी (स्त्री०)-देशना.
वृजिन (न०)-पाप. वादिन् (वि० )वाही.
वृद्धि (स्त्री०)-पधारो. वापी (स्त्री०)-पाय.
वृष्टि (स्त्री.)-१२साह. वार (पु.)-सभू.
वै (अ.)-(1) निश्चयवाय २०यय; (२) पाहवारण (पुं०)-(१) हाथी; (२) शे ते.
પૂર્તિના અર્થમાં વપરાતો અવ્યય. वारि (न.) .
वैबुध (वि.)वना संगंधी. वास (पुं०)-२४ाए.
वैभव (न.)-संपत्ति. वासुपूज्य (पुं०)नाना मारमा तीर्थ७२. वैर (न० )-६श्मनावट. वि (अ.)-वियोगसूय भव्यय.
वैरोट्या (स्त्री.)-वैशेच्या (विधा-हेवी). विकास (पुं०)=langी.
व्यजन (न०) मो. विघात (पुं०)-नाश.
व्याज (पुं०)-४५८. विग्रह (पुं०)-(१) १७, शरीर; (२) ४१९, 30.
व्याप्त ( वि०)च्यापेक्षा विजय (पुं० )-सत.
व्याहति (स्त्री०)-नाश. विद् ( २, ५० ज्ञाने)=ot]g;
व्रात (न०)-सभू. विद् (७, आ० विचारणे)-वियारj. विद्रुम (पुं० )-५२वागुं.
शंस ( १, प० सुतौ दुर्गतौ च)-पमा ४२वा. विध (पुं०) आर.
शकुन्त (पुं० )=५६ी. विधा (स्त्री०)विधान, आर्य,
शक्ति (स्त्री.)- तनुं आयुध. विधि (पुं०) आर्य.
शङ्ख (पुं० )-शंभ. विध्वंस (पुं०)-नाश.
शची (स्त्री०)-न्द्राशी. विनय (पुं.)-विनय.
शत (न०)-सो. विनीत (वि.)-विनययुज.
शतपत्र (न. )-सोपांगवाणु भय. विपद् (स्त्री० ).
शत्रु (पुं०)श्मन. विपुल (वि.)-विशाण.
शम् (अ.)-भुभवायॐ अव्यय. विमेदन (न.)-नाश.
शम् (४, प० उपशमे )-शांत थq. विमल (पुं०)ौनीना तेरमा तीर्थ५२.
शम (पुं० )-शांत. विमल (वि० ) निर्मग.
शमक (पुं०)शांत ४२ना२. विमलित (वि.)-निर्मग अरेस..
शमन (न.)-शांति.
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org