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________________ शब्द-कोषः आयति (स्त्री०) भविष्या . आरम्भ (पुं०)-२३सात. आरात् (अ.)-२थी.. आराम (पुं०)-भाग. आर्त (स्त्री०) पारित. आहती (स्त्री.)-तीर्थ४२ना संमंधी. आलय (पुं०)-गृह आलि (स्त्री.)-श्रेशि, २. आवली (स्त्री)-पंति आशय (पुं०)आश्रय, माधार. आशु (अ.) ही. आस् (२, आ० उपवेशने)-मेस. आसन (न.)-आसन. आस्था (स्त्री० )-श्रा, साधीन. आहव (न.) उत्कर (पुं०)-गयो. उत्तम (वि.)श्रेष्ठ. उत्तारक (वि.)-तारना२. उदक (न.)-1. उदधि (पुं०) समुद्र उदन्वत् (पुं०)हरियो. उदय (पुं०) य. उदर (न.)-मध्य साग. उदित-(१) स; (२) थेस. उदार (वि.)-भुण्य. उद्भव (पुं० )-उत्पत्ति. उन्नति (स्त्री.)-समृद्धि उपताप (पुं० )=संताप.. उपमा (स्त्री० )-स२मली. उपमान (न०)पमा. उपरि (अ.)-64२. उपलम्भ (पुं०)माक्षे५. उपाय (पुं.)-पाय. उरु (वि.)विशा. ह (२, ५० गतौ)-g; उदि=6Ig. इति (अ.) म. इन्दु (पुं०)व्याद्र. इन्द्र (पुं०)-(१) सुरपति; (२) भुण्य. इव (अ.) . इह (अ.)-ममि . ऋजिम-सरसता. ऋण (न०)-हे. ऋत (न०)-सत्य. ऋत (वि.)सल्यास ४२१॥ साय. ऋद्धि (स्वी.)-संपत्ति, भव. ईक्ष (१, आ० दर्शने ) . ईड (२, आ• स्तुतौ )स्तुति ४२वी. ईति (स्त्री.)-७५. ईप्सित (वि.)-भेगका ४२छेस. ईरण (न० )=३२१. ईश (पुं०)=(१) स्वामी; (२) भराया (3) तीर्थ२. ईशिनी (स्त्री०)स्वामिनी. ईश्वर (पुं०)-नाथ. ईहित (न०) येष्टित. एकधा (अ.)- शत. एधन (न०)-वृद्धि एनस् (न०)=५५. एव (अ.) . एवम् (अ०)आवीरीत. ओ ओघ (पुं०)-समूह. ओजस् (न०) . क क (न० )=(१) 14; (२) भरत. कज (न०)मा. कण (पुं० )-मश. कथञ्चित् (अ.)महा महेनते. उम्र (वि.)-तीन. उचित (वि.)-योग्य. उच्चैस् (अ.)-324 आर. उज्वल (वि.)Grj.. उज्य (६, प० उत्सर्गे)-छोरी . Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004891
Book TitleChaturvinshatika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal R Kapadia
PublisherJinshasan Aradhana Trust
Publication Year2006
Total Pages348
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size16 MB
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