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सोढा
गुजराती भाषानी उत्क्रान्ति लौ० सं० वै० सं० व्या० प्रा०
ईड-ईल-ईळ (पै०) अहेडमानः
अहेळमानः अहेलमानो-अहेळमानो दृढ
दृळ्ह [वै० प्र० ६-३-११३] दळ्ह (पालि) साळ्हा [
] सोळ्हा [१६] वैदिक प्रक्रियामां केटलांक एवां पदो मळे छे के जेमां असंयुक्त
एवो अनादिस्थ “य' अने 'व' लोपायेलो छे अनादिस्थ 'य' अने 'व' नो लोप
__ अने व्यापक प्राकृतमां पण ए जातना 'य' अने
'व' लोप पामे छे. लौ० सं०
वै० सं०
व्या० प्रा० प्रयुग
पउग [वा० सं० १५-९] पउग वैदिक 'सीमहि' [ऋग्वेद पृ० १३५, ३] रूप ‘षिवु' धातु ऊपरथी आव्युं छे अने तेमां ‘षिवु' नो 'व' लोपायेलो छे.
[१७] वै० पृथुजवः पृथुज्रयः [ निरुक्त पृ० ३८३-४० ] व्या० प्रा० 'र'नो वधारो
पिथुजवो पिथुजयो. अहीं 'पृथुज्रयः' मां 'व' लो
पाया पछी व्यापक प्राकृतमां (लावण्य-लायण्ण) थाय छे तेम ‘य' श्रुति थयेली छे अने अपभ्रंशमां 'व्यास' नुं 'वास,' 'चैत्य' नुं 'चैत्र' थाय छे तेम 'जव' नुं 'ज्रय' ए, 'र' वाळु रूप पण थयेलुं छे ए ध्यानमा राखवा जेवं छे. आवां अपभ्रंशनी जेवां 'र' ना वधारावाळां बीजां पण वैदिक पदो मळे छे. अधिगु-अध्रिगु [ निरुक्त पृ० ३८७-४३]
[१८] व्यापक प्राकृतमां अनादिस्थ असंयुक्त एवो 'च' अने असर , 'क' लोप पामे छे. वैदिक पदोमां पण एवो 'च' अने 'क' नो लोप अने 'क' लोपायेलो छे.
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