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आमुख
क्रियाह
नीलक
त्रियूह
वोल्लाह
उराह सुरूहक वोरुखान कुलाह उकनाह शोण हरिक हालक पङ्गुल
हलाह बीजा शब्दो
खतमथु ( जिनप्रभसूरि) रहमाणु सलामु
खिदमत रहमान
सलाम
हरामु
हराम जानवर
जानूउरु
__ ४६ “ खतमथुः भक्तिः । रहमानो महेश्वरः । अथ रह त्यागे धातुः-रहति रागद्वेषौ त्यजति-इत्येवं शक्तः “शक्तिवयस्ताच्छील्ये " इति शानड्, आत् , मोऽन्त णत्वे कृते रहमाण इति रूपम् ” इत्यादि (जैनसाहित्यसंशोधक खंड ३ अंक १ पृ० २१-२९ फारसी भाषामां ऋषभदेवस्तवन)
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