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उपसंहार
चरणमां साधना माटे जतो होवाथी ए वात पोतानी स्त्रीओने समझावे छे. अने स्त्रीओ तेने अहीं रहेवा समझावे छे. प्रभव साथे पण तेनो वार्तालाप थाय छे. प्रभवने ए जोईने आश्चर्य थयु के हु तो धन अने स्त्रीओ माटे धाडो पार्दू त्यारे आ महानुभाव ते बधुं मूकीने आरण्यक जीवन जीववा इच्छे छे. छेवटे सवारे, जंबू , तेना माता-पिता, आठे स्त्रीओ अने प्रभव वगेरे बधा चोरो महावीर पासे जईने वनव्रत स्वीकारे छे अने जीवनशुद्धिनो मार्ग मेळवे छे. जतां पहेलां प्रभव, राजा कोणिक पासे जाय छे अने पोते जेनी जेनी जे चीज चोरी हती ते, अने ते बधुं क्या राख्यु छे ते सघळु बतावे छे अने राजा-प्रजानी क्षमा मागे छे. आ बधी हकीकत प्रचलित भाषामां कविए प्रस्तुत बीजी कृतिमां सरस रीते वर्णवी छे.
त्रीजी कृतिमां गिरनारनो रास छे. तेमां गिरनारनु, 'तेनी यात्रार्नु अने ते समयना केटलाक ऐतिहासिक पुरुषोनुं नाम-स्मरण छे. ए कृति देशीना रागमा छे अने अमुक कडवामां वहेंचायेली छे.
२१३ चौदमा सैकानी नेमिनाथचतुष्पदिका (चोपाई) मां नेमिनाथ अने आठ भवथी तेनी सहचरीरूपे रहेती आवेली राजुल वा राजिमती ए बेना प्रेमनुं वर्णन छे. नेमिनाथ वीतराग थवानी वृत्तिवाळा छे अने राजिमती तेमना तरफ आकर्षायेली छतां तेमनाथी त्यजायेली होई पोतानी हैया-वराळ आ चोपाईमां बराबर बतावे छे. कविए ए वस्तुने बराबर वर्णक्वा आ कृतिमां बार मास वर्णवेला छे अने तेमां राजिमती तथा तेनी सखीओनो संलाप चीतरेलो छे. छेवटे राजिमती पण नेमिनाथ पासे जई संयमिनी थईने रहे छे. आनी भाषा पण बोलचालनी छे अने ते द्वारा चौदमा सैकानी गुजरातीनो आपणे घणो स्पष्ट ख्याल मेळवी शकिए एम छीए.
बीजी कृति थूलिभद्रनो फाग छे. आमां त्यागी थूलिभद्र पोतानी पूर्व
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