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________________ उपसंहार २०७ सत्तरमा सैकानी गुजरातीमां घणे स्थळे अंतिम दीर्घ 'ऊ' वपरायेलो छे. जेम ‘' ने बदले 'नूं' वगेरे. अने 'ऐ' तथा ' औ' नो प्रयोग छूटथी थवा लाग्यो छे, तथा 'ऋ' आदिवाळा शब्दोमां 'ऋ' ज कायम रह्यो छे, पण तेने बदले 'रि' नो प्रयोग वधारे प्रमाणमां नथी. २०८ आ पछी अढारमा सैकानी भाषा तो अद्यतन गुजराती छे, एथी ए विशे विशेष विवेचन नथी कयु; परंतु जे रीते पन्दरमा सैकानी गुजरातीने समझाववा विभक्तिवार उदाहरणो, क्रियापदो, सर्वनामो वगैरे वीगतथी आप्यु छे ते रीते अढारमा शतकनी एटले आजनी गुजराती भाषाने समझाववा अनेक रूपो सविस्तररूपे आपेलां छे. आजे आपणे ज्यां 'स' नुं उच्चारण करिए छिए त्यां पण अढारमा शतकनी गुजरातीमां तालव्य 'श' नुं उच्चारण रहेलुं छे अने ज्यां आपणे त्यां 'ळ' नुं उच्चारण प्रर्वते छे त्यां 'ल' नुं उच्चारण थयेलुं छे. बारमाथी ते ठेठ अढारमा शतक (एक श्रीयशोविजयजीनी कृतिमां क्यांय 'ळ' देखाय छे परंतु ते संशोधननो के मुद्रणनो दोष केम न होय ?) सुधीनी गुजरातीमां क्यांय 'अबला', 'वली', 'काल' वगैरे शब्दोमां 'ळ' नुं उच्चारण जोवामां नथी आव्यु एटले कदाच 'ळ' नुं उच्चारण तद्दन आधुनिक होय अने दक्षिणना सहवासथी आव्युं होय ए बनवा जोग छे. प्राचीन समये वेदमां तेम ज प्राकृतभाषाओ पैकी पालिभाषामां अने पैशाचीभाषामां स्वतंत्र 'ळ' नुं उच्चारण चाले छे एटले ए पण संभव छे के दाक्षिणात्य वेदपाठीओना वा 'ळ' वाळी भाषाना सहवासथी वर्तमान गुजरातीमां 'ळ' नुं उच्चारण उमेरायु होय. २०९ चौदमा सैकानी गुजरातीथी ठेठ अढारमा सैकानी गुजराती सुधीनी रचनाओमां कोई प्रकारना नियत बंधारणवाळी निश्चित जोडणी देखाती Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004874
Book TitleGujarati Bhashani Utkranti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherMumbai University
Publication Year1943
Total Pages706
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, History, & Grammar
File Size22 MB
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