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________________ उपसंहार २०१ व्याख्यानोना पुरोवचनमां शब्द अने भाषाना स्वरूप विशे संक्षेपमां जणावेलुं छे. पछी भाषाभेदनां निमित्तो विशे सविस्तर चर्चा करेली छे. ए प्रसंगे निरुक्तकार यास्के आपेला शब्दोने अने प्रधान वैयाकरण पाणिनिना धातुसंग्रहमांना धातुओने निदर्शन रूपे जणावेला छे. भाषाभेदनां बीजां अनेक निमित्तो जणाव्यां छे. तेमां आर्य अने अनार्यए बे जातिओनो गाढ संपर्क पण एक खास निमित्त छे. ते बाबत पण केटलाक पूरावा आपीने सविस्तर विवेचन करेलुं छे. वेदोमां य अनार्य शब्दोनो संपर्क छे ए हकीकत पण जैमिनिना वचन साथे टांकी बतावी छे. एटलं ज नहीं पण जेमनो अर्थ अवगत न थतो होय एवा वैदिक अनार्य शब्दोनो अर्थ अनार्यसमाज पासेथी मेळवबो एवं कुमारिलभट्टर्नु सविस्तर निवेदन जणावीने एवं पूरवार कयु छे के आर्य अने अनार्योनो गाढ संपर्क अने आर्योनी भाषा ऊपर तेनी प्रबल असर ए कल्पित कथा नथी ज. अनार्यों द्वारा थतुं आर्यशब्दोगें उच्चारण अने आर्यों द्वारा थतुं अनार्यशब्दोनुं उच्चारण ख्यालमां आवे ए माटे चीनी प्रवासी हुएनसिंगनां उच्चारणो साथे बीजां पण केटलांक उच्चारणो• जणावेलां छे. प्राकृतभाषाओना मूळ उपादानने समझवा सारु वैदिक भाषानी घटना साथे तेमनी आंतरघटनानी सरखामणी विशेष विस्तारथी सप्रमाण करी बतावी छे. अने एथी ए आशय सिद्ध कर्यो छे के वेद समयनी प्रचलित भाषानुं ज नाम प्राकृतभाषाओ छे. यास्कना अने पाणिनिना समयनां एक ज शब्दनां भिन्न भिन्न उच्चारणो ज ते शब्दोनी प्राकृतमयता सूचक्वाने पूरतां छे. संस्कृत ऊपरथी प्राकृत आव्यानो मत अने प्राकृत ऊपरथी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004874
Book TitleGujarati Bhashani Utkranti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherMumbai University
Publication Year1943
Total Pages706
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, History, & Grammar
File Size22 MB
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