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________________ आमुख तंत्रवार्तिककार कहे छे के “ आर्यावर्तनी पडोशमां आवेली द्रविडादि भाषाओना शब्दोने आर्यो पोताने फावे ते रीते फेरवीने स्वच्छंदपणे वापरे छे तो पछी पारसीक; बर्बर, यवन अने रोमक वगैरे देशोनी भाषाना शब्दोने वापरती वखते आर्यलोको ते ते शब्दोमां कोण जाणे केवो य फेरफार करता हशे अने ते ते शब्दोनुं नवं नवं रूप कल्पीने तेमांथी केवो केवो अर्थ काढता हशे ते संबंधे शुं कही शकाय?" __ जैमिनि, शबर अने कुमारिल भट्टर्नु उपर्युक्त निवेदन एम सिद्ध करवाने पूरतुं छे के जे क्रियाओमां म्लेच्छोनी छाया पण असह्य छे एवी वैदिक विधिओने लगतां विधानोमां य म्लेच्छभाषाना शब्दो पेसी गया हता तो पछी आर्यो अने अनार्यो वच्चे प्रवर्तती जनसाधारणनी भाषामां तो अनार्य शब्दोनो प्रभाव केटलो बधो वधारे हशे ? ए प्रभावने लईने आर्योनी अने आदिम जातिओनी भाषा एकमेक जेवी थई गई हती. ३१ ते ते आदिम जातिओ आर्योना शब्दोने केवी रीते फेरवीने बोलती हशे ते विशे विशेष प्राचीनतम उदाहरणो मळवां दुर्लभ छे छतां य चीनी प्रवासी ह्युएनसंग (विक्रमनो सातमो सैको) नां उच्चारणो द्वारा अने अंग्रेजोनां अत्यारना उच्चारणो द्वारा ए फेरफारोनी कल्पना आवी शके खरी. युएनसंगनां उच्चारणो आपणा शब्दो [देश अने नगरनां नामो] चीनी प्रवासी एनसंगे करेलां सुलच विलक्षण उच्चारणोनां उदाहरणो ओनतोपुलो आनन्दपुर फलिपि ३७ आ बधां नामो माटे जुओ ‘ऑन युआनच्चांग' (वॉटर्स ) नो विशेष नामोनो इंडेक्स तथा 'बुद्धिस्ट रेकर्डझ् ऑफ धि वेस्टर्न वर्ल्ड'नो विशेष नामोनो इंडेक्स. गुर्जर सुराष्ट्र वलभी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004874
Book TitleGujarati Bhashani Utkranti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherMumbai University
Publication Year1943
Total Pages706
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, History, & Grammar
File Size22 MB
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