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________________ व्याख्यान पांचमुं अठारमी सदीनी गुजराती अने उपसंहार १९४ हवे जे कृतिमां बराबर अद्यतन गुजराती वपरायेली छे तेवी अढारमी सदीनी त्रण चार कृतिओमांथी मेळवेलां नामो अने क्रियापदो इत्यादि जोई लईए. ए कृतिओ विशे विशेष कशुं लखवापणुं रहेतुं नथी, अढारमी सदीनी कृतिओमां पहेली कृति खेमाहडालियानो रास - कर्ता अढारमा सैकाना लक्ष्मीरत्न (जैन), बीजी श्रीमद्भागवत - रचनार कविओ लक्ष्मीरत्न कवि रत्नेश्वर अने त्रीजी कविराज प्रेमानंदनी कृति (जैन) रत्नेश्वर - छे अने ते राजा नैषधनी कथा. तथा चोथी कृतिरूपे प्रेमानंद अने यशोविजय (जैन) द्रव्यगुणपर्यायनो रास ( मूळ पद्य अने अर्थ गद्य ) अने जंबुस्वामिरास पद्य कर्ता उपाध्याय यशोविजय. ए चारे कृतिओना कर्ताना समय विशे सुनिश्चितपणुं छे, एटले ए बाबत खास कशुं लखवापणुं नथी. १९५ विभक्तिना क्रमप्रमाणे नामो अने क्रियापदो तेमांथी आ प्रमाणे ताख्यां छे : ए कविओना नामविभक्तिवाळा सात विभक्तिनां रूपो प्रयोगो विभक्ति - १ लक्ष्मीरत्न - जनेसर, नृप, पुरुष, भत्रीक, खेमो, भगवंत, गुजरदेस, गुणनीलो, वरण. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004874
Book TitleGujarati Bhashani Utkranti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherMumbai University
Publication Year1943
Total Pages706
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, History, & Grammar
File Size22 MB
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