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________________ सोळमा अने सत्तरमा सैकानुं पद्य तथा गद्य ५८३ सुणु सेवक सिद्धांत कवू , क्षणक्षण विश्व ऊपजइ न ; स्त्री ऊपरि गुरु आणइ भाव, करता रखे कदाचि कुभाव ॥२३॥ अहो साधु ए सौगत धर्म, मोक्षमहासुख प्राप्ति कर्म । श्रद्धानई शीखामण कही ए तई कुल छांडेवू नहीं ॥ २४ ॥ शांति भणइ ए सचूड पिंड बुद्धउपासक मुण्डितमुण्ड । जमली ऊभी माता जिसी श्रद्धा हुइ पणि तामसी ॥ २५ ॥ (पृ० ३१) संवत १५ रुद्रनी वीस षट आगलां वरस च्यालीस । दषणायन वरखा रतु सार श्रावण सुदि दसमी गुरुवार ॥ ७३ ॥ भवभयभंजन श्रीभारती पंचप्रवाहि वहि सरस्वती । श्रीसोमेश्वर निज आवास भुवि मांहि बीजु कैलास ॥ ७४ ॥ तीरथतिलक क्षेत्र प्रभास यहां वसइ द्विज नरसिंह व्यास । ते घरि सेवक वैष्णवदास कीधु एह प्रबोधप्रकाश ॥ ७५॥ (पृ० ७४) प्रबोधचन्द्रोदय-विस्तार नाटक शांत महारससार । भीम भणइ नाराइणदास अंक समापति छ? प्रकाश ॥ ८३॥ (पृ० ७६) Jain Education International For Private & Personal Use Only ____www.jainelibrary.org
SR No.004874
Book TitleGujarati Bhashani Utkranti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherMumbai University
Publication Year1943
Total Pages706
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, History, & Grammar
File Size22 MB
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