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गुजराती भाषानी उत्क्रान्ति
झबझब झबझब झबझब ए वीजुलिय झबकइ थरहर थरहर थरहर ए विरहिणिमणु कंपइ ॥ ६॥ महुरगंभीरसरेण मेह जिम जिम गाजते । पंचबाण निय कुसुमबाण तिम तिम साजते । जिम जिम केतकी महमहंत परिमल विहसावइ । तिम तिम कामिय चरण लग्गि नियरमणि मनावइ ॥ ७ ॥ सीयलकोमल सुरहि वाय जिम जिम वायते । माणमडप्फर माणणि य तिम तिम नाचते । जिमजिम जलभरभरिय मेह गयणंगणि मिलिया ।
तिमतिम कामीतणा नयण नीरिहि झलहलिया ॥ ८ ॥ भासमेहारवभरऊलटिय जिम जिम नाचइ मोर ।
तिम तिम माणिणि खलभलइ साहीता जिम चोर ॥ ९ ॥ अइ सिंगारु करेइ वेस मोटइ मनऊलटि । रइय रंगि बहुरंगि चंगि चंदणरस ऊगटि । चंपयकेतकिजाइकुसुम सिरि धूप भरेइ । अतिआछउ सुकमाल चीरु पहिरणि पहिरेइ ॥ १० ॥ लहलह लहलह लहलह ए उरि मोतियहारो । रणरण रणरण रणरण ए पथि नेउरसारो। झगमग झगमग झगमग ए कानिहि वरकुंडल । झलहल झलहल झलहल ए आभरणहं मंडल ॥ ११ ॥ मयण खग्ग जिम लहलहंत जसु वेणीदंडो। सरलउ तरलउ सामलउ रोमावलिदंडो।
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