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गुजराती भाषानी उत्क्रान्ति
१७६ पन्नरमा सैकाना श्रीगुणरत्नसूरिए विक्रमसंवत् १४६६ मां रचेला पोताना ' क्रियारत्नसमुच्चय ' मां ते समयनी प्राकृतवार्ता – लोकवार्ता - लोकभाषा - मां चालतां केटलांक क्रियापदो अने वाक्यो आपेलां छे. जेने जाणवाथी ते समयनी चालु भाषानो विशेष स्पष्ट ख्याल आवशे माटे ते बधांने आ नीचे
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गुणरत्नना प्रयोगो
जणावी दउं छं: उक्त कुलमंडन अने प्रस्तुत गुणरत्न बन्ने गुरु-भाई हता, ए वात आगळ ( पृ० ४५० ) जणावाई गई छे.
तृतीय पुरुष
द्वितीय पुरुष
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वर्तमान- एड करइ ( ए करे छे ) लियइ ( ले छे" लाति " गुणरत्न ) जायइ ( जाय छे ) " आपतति " गुण० ) सुअर (सूए छे ).
बहु ० -- ए घणां करई (एओ घणा करे छे ) ए घणां लिई (एओ घणां ले छे )
तूं करें (तुं करे छे )
तूं लिअँ (,, ले छे )
तूं दिऔं (,, दे छे )
बहु ० तुम्हे करउ ( तमे करो छो ) लिअउ ( ल्यो छो )
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दिअउ (, यो छो)
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दिअइ (दे छे )
आवइ ' ( आवे छेजागइ ( जागे छे )
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३२० क्रियारत्नसमुच्चय- बनारस यशोविजय जैन पाठशाळाए यशोविजय जैन ग्रंथमाळाना दशमा पुस्तकरूपे प्रसिद्ध करेलो छे.
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