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________________ ४८० गुजराती भाषानी उत्क्रान्ति असाइत भीम मढ-(मठ) नरनाह-( नरनाथ ) अहिणवउ-(अभिनवक) पगार-(प्राकार) कलि-( कल्ये) सौवन्न-( सौवर्ण) सकति-(शक्ति) पगर-(प्रकर) वन-(वर्ण) राष-(ऋषि) अपुव्व-( अपूर्व) तिलय-( तिलक) कासमीर-( काश्मीर ) आणणि-(आनने ) नेउर-( नूपुर) सरसति-( सरस्वती) करियाणा-(क्रयाणक) लोयण-(लोचन) विघन मयमत्त-( मदमत्त) पायक्क-(पाइक्क–पदाति) परमेस गयंदु-(गजेन्द्र) सरिस-(सदृश) भरतारि वेउ-(वेद) भत्ति-(भक्ति) वागि धुनि-(ध्वनि) गय–(गज) वीनती घाउ-(घात) पयपंकय-(पदपङ्कज ) त्रिपनमु नरवि असाइत भीम क्रि० भणि | कहीइ । विनवइ ऊठाडु भंजइ कीया ऊठिउ सूझइ गया जोइइ मारिस विधंसद १७४ कवि असाइते अने कवि भीमे वापरेला ऊपर जणावेला शब्दो पोते ज कही आपे छे के ए कविओनी भाषा संस्कृतमूलक छे के प्राकृतमूलक छे ? में आगळ कयुं छे तेम गुजराती भाषा के कोई पण क्रि० होई कहइ तोलइ मंडाइ वणास्युं आवरइ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004874
Book TitleGujarati Bhashani Utkranti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherMumbai University
Publication Year1943
Total Pages706
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, History, & Grammar
File Size22 MB
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