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गुजराती भाषानी उत्क्रान्ति
असाइत
भीम मढ-(मठ) नरनाह-( नरनाथ ) अहिणवउ-(अभिनवक) पगार-(प्राकार) कलि-( कल्ये) सौवन्न-( सौवर्ण) सकति-(शक्ति) पगर-(प्रकर) वन-(वर्ण) राष-(ऋषि) अपुव्व-( अपूर्व) तिलय-( तिलक) कासमीर-( काश्मीर ) आणणि-(आनने ) नेउर-( नूपुर) सरसति-( सरस्वती) करियाणा-(क्रयाणक) लोयण-(लोचन) विघन
मयमत्त-( मदमत्त) पायक्क-(पाइक्क–पदाति) परमेस
गयंदु-(गजेन्द्र) सरिस-(सदृश) भरतारि
वेउ-(वेद) भत्ति-(भक्ति) वागि
धुनि-(ध्वनि) गय–(गज) वीनती
घाउ-(घात) पयपंकय-(पदपङ्कज ) त्रिपनमु नरवि असाइत
भीम
क्रि० भणि | कहीइ
। विनवइ ऊठाडु भंजइ कीया ऊठिउ सूझइ गया
जोइइ मारिस
विधंसद १७४ कवि असाइते अने कवि भीमे वापरेला ऊपर जणावेला शब्दो पोते ज कही आपे छे के ए कविओनी भाषा संस्कृतमूलक छे के प्राकृतमूलक छे ? में आगळ कयुं छे तेम गुजराती भाषा के कोई पण
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कहइ तोलइ
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