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________________ चौदमो अने पन्दरमो सैको ग्रामतणउ-गामर्नु आजूनउ-आजनुं केही गमातणउं-कई गमनु-कई बाजुनु पराजु-परायु अहुणोकउं–ओणुकुं परोकउं–पोरंकुं कालूणउं-कालूनुं-कालनुं मउडउं–मोड़ें वहिलउं-वहेलं ऑरहउं–ओरं गाढ–घ-गाटुं १६९ पन्दरमा सैकानी गुजरातीनो स्पष्ट ख्याल आवे ते ताटे अहीं में तेने लगता विशेष प्रयोगो जणाव्या छे. अने १४११ थी १४८८ सुधीनी पांच कृतिओना ऊतारा पण आप्या छे. आ गुजराती अने आपणी गुजराती वच्चे हवे तो नहीं जेवो ज भेद छे. 'अइ' अने 'अउ' वाळां पदोनो उच्चार आपणे तेमनो गुण करीने एटले 'अइ' नो 'ए' अने 'अउ'नो 'ओ' करीने करिए छिए त्यारे . पन्दरमा सैकानी गुजरातीमां तेमनो गुण थया विना पन्दरमा सैकानी । । ज एम ने एम उच्चारण थाय छे. बीजं, अत्यारसुधीनी भाषामीमांसा गुजरातीमां प्रथमानु एकवचन 'ओ' कारवाळु नहोतुं जणातुं ते, आ कृतिओमा उपलब्ध थाय छे. जो के 'ओ'कारवाळा पदनो उपयोग विशेष नथी थयो देखातो; पण छे तो खरो अने साथे चंद्र, सोनार, वीतराग, जीव, एवां प्रथमामां आजे य वपरातां पदो पण ए कृतिओमां वपरायां छे. अने प्राचीन परंपरानो 'उ' एटले जनपदु, हरिदत्तु वगैरे 'उ' वाळा पण प्रथमांत प्रयोगो देखाय छे. तात्पर्य ए के प्राचीन अने अर्वाचीन बन्ने प्रकारना प्रयोगोनी वपराश आ कृतिओमां छे. ए ज प्रमाणे अत्यार सुधीनी कृतिओमां त्रीजी विभक्तिमां 'ई' के Jain Education International For Private & Personal Use Only ___www.jainelibrary.org
SR No.004874
Book TitleGujarati Bhashani Utkranti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherMumbai University
Publication Year1943
Total Pages706
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, History, & Grammar
File Size22 MB
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