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गुजराती भाषानी उत्क्रान्ति
उपरांत एक त्रीजी · कर्मकर्ता ' उक्तिनुं उदाहरण देखाडतां कुलमंडन कहे छे के- 'ए ग्रंथ सुखिं पढायइ'. 'इहां सोनउं सडंगउं वीकाइ'".
सकर्मक क्रियापद संबंधी भूतकाळनी उक्तिने समझावतां कुलमंडन जणावे छे के लोकभाषामां भूतकाळमां कर्मणि प्रयोग ज थाय छे. “प्राकृत उक्ति सकर्मक अतीत कालि कर्मि जि बोलीयइ"_जेमके
'श्रावकिई देवु पूजिउ' वळी ते कहे छ के-" अनइ जेह उक्ति माहि गत्यर्थ अथवा अकर्मक क्रिया हुइ, तिहां प्राकृतवार्ता अतीतकालि कर्ता बोलायइ" अर्थात् जे वाक्यमा भूतकाळ सूचक क्रियापद गत्यर्थक होय अथवा अकर्मक होय त्यां भूतकाळनो प्रयोग लोकभाषामां कर्तरि पण थाय छे. जेमके-- ____ चैत्रु गामि गिउ, तारउ ऊगिउ, लोग ऊठिउ, सूतउ, जागिउ. 'सति' सप्तमीनो प्रयोग
मेघि वरिसतइ मोर नाचइ (मेघि' सति कुलमंडने आपला स०) गुरि अर्यु कहतइ प्रमादीउ ऊंघइ ('गुरि' केटलाक प्रयोगो
सति स०) गोपालिई गाए दोहीतीए चैत्रु आविट अने विभक्तिओ
('गाए' सति स० ) चैत्रिई गाईतइ मैत्रु नाचइ वापरवाना नियमो
' ('गाईतइ' सति स०) ऊपरि-ऊपर)
परारु-परार-गये वर्षे ने अगाउने वर्षे | आनो योग थतां
- हेठि हेठे
गिइ कालि-गइ काले
| अनेरइ दीसि-अन्य दीवसे तउ-तो
| पाछलि-पाछळ
कन्हइ कने
नाम षष्ठीमां आवेळे
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