SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 474
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ चौदमो अने पन्दरमो सैको संस्कृतना जिज्ञासुओ माटे श्रीकुलमंडनसूरिए 'मुग्धावबोध' नामर्नु कुलमंडननी कृति ... एक औक्तिक रच्युं छे. अने तेमां गुजराती भाषाद्वारा संस्कृतनी कारकविभक्तिओ . अने कृदंत वगैरेने समझावेलां छे. प्रस्तुत औक्तिक प्रधानपणे गुजराती भाषानो ग्रंथ नथी; परंतु संस्कृतने शीखववा माटे तेमां गुजराती भाषाने वाहनरूपे वापरवामां आवी छे–ए ध्यानमा रहे. __ए औक्तिकमां वाहनरूपे वपरायेली गुजराती भाषानां प्रयोगो अने पदो आपणने पन्नरमा सैकानी गुजरातीनो सविशेष परिचय आपे एम छे. कुलमंडन तपागच्छना हता. तेमना गुरुनु नाम देवसुंदरसूरि अने गुरुना गुरु-प्रगुरुनुं नाम चंद्रशेखरसूरि हतुं. उक्त औक्तिकमां ज तेनी रचनानो समय वि० सं० १४५० नोंघेलो छे. 'श्रीगायकवाड प्राचीन ग्रंथमाला'मां प्रगट थयेला 'पाटणना भंडारोनुं सूचिकुलमंडननो पत्र' नामना पुस्तकमां पृ० २१५ अने पृ० २५८ परिचय ऊपर कुलमंडनना गुरु प्रगुरु वगैरेनो उल्लेख करेलो छे. पृ० २५८ ऊपर आपेली एक प्रशस्तिमा १४४२ विक्रमसंवत्मा कुलमंडनना आचार्यपदनो उत्सव थयानो उल्लेख छे. " तथा सौवर्णिकश्रेष्ठाश्चक्रुः सूरिपदोत्सवम् । महर्या लखमसिंहो रामसिंहश्च गोवलः ॥ २८ ॥ द्वि-वार्धि-युग-भू-वर्षे प्रीणिताशेषभूतलम् । श्रीकुलमण्डनात् सूरिश्रीगुणरत्नसंज्ञिनाम्" ॥ २९॥ युग्मम् ॥ वळी, विक्रम संवत् १४६६मां रचायेला क्रियारत्नसमुच्चयना कर्ता श्रीगुणरत्नसूरि अने प्रस्तुत कुलमंडनसूरि बने एक गुरुना शिष्य छे, ए Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004874
Book TitleGujarati Bhashani Utkranti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherMumbai University
Publication Year1943
Total Pages706
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, History, & Grammar
File Size22 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy