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चौदमो अने पन्दरमो सैको संवरू-संवरो--अटकावो प्ररूपिउ-प्ररूप्यु-प्ररूप्यो खमाविउं-खमाव्यु-क्षमा आपी ऊखल-ऊखल वहरु-वेर
घरटी-घंटी करउं-करं
कटारी-कटार संस्थापिउ-संस्थाप्यु
पावटा-पावडा अवलपिउ-ओळव्यो
वेचि-खरची-व्यय करी घरट-घरट-दळवाना मोटा घंट खांडा-खड्ग-खांडु
सज्याइ-सजाय-सज्झाय अरहट्ट-रेंट
ऊजम-ऊजम-उद्यम द्रवि-द्रव्य
। हुओ-हुयो-थयो
पूर्वोक्त शब्दो विशे विवेचन करतां पहेला उक्त ते ते कृतिओना कर्ता विनयचंद्र अने जिनपद्मसूरिना समयविशेनां प्रमाणो आपुं: १४० विनयचंद्रे प्रस्तुत कृतिमां पोतानो समय नथी जणाव्यो, तेमा
___ फक्त रत्नसिंह ( रयणसिंह ) सूरिने पोताना गुरु तरीके विनयचंद्रनो समय
'जणावेला छे, परंतु विनयचंद्रे करेला कल्पसूत्रटिप्पैर्ने ऊपरथी तेमनो समय विक्रम संवत् १३२५ नो छे ए चोक्कस छे. बीजी कृतिना कर्ता जिनपद्मसूरि पोताने खरतरगच्छना जणावे छे अने
__ तेओने विक्रम संवत् १३९० मां आचार्यपदें
जिनपद्मसूरिनो समय मळ्युं हतुं.
उक्त बन्ने हकीकत ऊपरथी श्रीविनयचंद्र अने जिनपद्मसूरिनो समय चौदमो सैको सुनिश्चित छे. ३०४ जुओ जैनगुर्जरकविओ-विक्रमनी चौदमी सदी भाग १, पृ०५ टिप्पण. ३०५ जुओ जैनगुर्जरकविओ-विक्रमनी चौदमी सदी भाग १, पृ० ११.
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