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________________ ३५० गुजराती भाषानी उत्क्रान्ति खुद्द उत्तइ मंत--तंत-जंताइ विसुतइ चरथिरगरल—गहु—ग्गखग्गरिउवग्ग विगंजइ । दुत्थियसत्य अणत्थतत्थ नित्थारइ दय करि दुरियइ हरउ स पासदेउ दुरियक्करिकेसरि ॥ ५ ॥ तुह आणा थंभेइ भीमदपुर सुरवर रक्खस–जक्ख–फर्णिदविंद चोरा-इनल - जलहर ! जल - थरचारि रउद्दखुद्द पसु - जोइणि- जोइय इय तिहुअणअविलंघिआण जय पास ! सुसामिय ! ॥ ६ ॥ पत्थियअत्थ अणत्थतत्थ भत्क्तिम्भरनिब्भर रोमंचचिय चारुकाय किन्नर -नर-सुरवर | जसु सेवहि कमकमलजुयल पक्खालियकलिमलु सो भुवणत्तयामि पास मह मद्दउ रिउबलु ॥ ७ ॥ बहुविहुवन्नु अन्नु सुन्नु वन्निउ छप्पन्निहिं । मुक्ख-धम्म - कामत्थकाम नर नियनियसत्थिहिं । जं झायहि बहुदरिसणत्थ बहुनामपसिद्धउ सो जोइयमणकमलभसल सुहु पास पवद्धउ ॥ ८ ॥ X X X मह मणु तरलु पमाणु नेय वाया विविसंठुलु न य तणुरवि अविणयसहावु आलसविहलंघलु । तुह माहप्पु पमाणु देव ! कारुणपवित्तउ इ इ मा अवहीर पास ! पालिहि विलवंतउ ॥ १८ ॥ किं किं कप्पिउ न य कलुणु किं किं व न जंपिउ किं व न चिट्टिउ कि देव ! दीणयमवलंबिउ | Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004874
Book TitleGujarati Bhashani Utkranti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherMumbai University
Publication Year1943
Total Pages706
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, History, & Grammar
File Size22 MB
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