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बारमो अने तेरमो सैको
३१५ थिक' तरीके थयेली हती. तेमणे तेमनो मे 'कुमारपालप्रतिबोध' नामनो ग्रंथ गुर्जरेन्द्रपुरमा एटले अणहिलपुरमा रहीने लखेलो छे, एवं तेमणे पोते ज जणावेलुं छे. कुमारपालप्रतिबोधमां अंते लखेलुं छे के
“ शशि-जलधि-सूर्यवर्षे शुचिमासे रविदिने सिताष्टम्याम् ।
जिनधर्मप्रतिबोधः क्लुप्तोऽयं गूर्जरेन्द्रपुरे" ॥ पृ० ४७८. तेमनां जे पद्यो अहीं ऊधर्यां छे ते कुमारपालप्रतिबोधमाथी लीधेलां छे. धर्मसूरि विशे विशेष वृत्तांत न आपतां संक्षेपमा जणावं छं के
___ जंबूस्वामी रासमां तेमणे ते कृतिनो १२६६ नो धर्मसूरिनो समय
५ समय जावेलो छे अने पोताना गुरुनुं नाम महेन्द्रसूरि जणावेलुं छे. त्रीजी कृति-रेवंतगिरिरास-ना कर्ता श्रीविजयसेनसूरि छे. रासनी शरू
. आतमां तेमणे गुजरातमां आवेला धोळकाना राजा विजयसेनसूरिनो वीरधवलने याद कर्यो छे अने पोरवाड कुलना शणगारसमय
समान-आसराजना पुत्र-वस्तुपाल अने तेजपाल ए बे भाईओनां नामने पण संभायाँ छे. तथा आ विजयसेनसूरि वस्तुपाल तेजपालना धर्माचार्य हता अने तेमणे विक्रम संवत् १२८८ ना फागण सुद १० बुधे गिरनार ऊपर महं० वस्तुपाले करावेला श्री समेतावतारमहातीर्थप्रासादनी प्रतिष्ठा करावेली. (प्राचीन जैनलेखसंग्रह पृ० ६६.) आ रीते उक्त त्रणे आचार्योंना समय-तेरमा सैका विशे शंका मटी जाय छे.
बारमा सैकानी अंतिम अपभ्रंश वा ऊगती गुजराती भाषानी उक्त कृतिओनी भाषामा संस्कृत प्राकृतनी असर तद्दन मटी नथी, जो के
२९६ जुओ टिप्पण २६३-२६४
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