________________
गुजराती भाषानी उत्क्रान्ति उपपत्ति छे, एटले ते, प्रथमा विभक्तिवाळु छे छतां कर्मरूप एटले द्वितीया विभक्तिवाळा 'रावण'नुं विशेषण छे. 'माळीए कूकडीने मारी,' 'शिकारीए पक्षीने मायु' ए वाक्योमां पण 'मारी' 'मायु'-एमां एक कूकडीनुं विशेषण होई नारीजातिमां छे अने बीजुं पक्षीनु विशेषण होई नान्यतरजातिमां छे. वाक्यनां बन्ने विशेष्यो कर्म छे माटे द्वितीयांत छे छतां तेनां विशेषणो प्रथमांत छे. आ पण लोकभाषानी विलक्षणतानो एक नमूनो छे. एवा बधा प्रयोगोमां भूतकृदंत प्रथमाना एकवचन के बहुवचनमां आवशे पण बीजी कीई विभक्तिमां नहीं आवे. भले तेनुं विशेष्य द्वितीया विभक्तिमा होय. __कर्मणि भूतकृदंतवाळा संस्कृतादि भाषाना प्रयोगोमां ('रामेण रावणो हतः') 'रावण' कर्म छे छतां तेनो कर्मार्थ उक्त थवाने लीधे ते प्रथमा विभक्तिमां आवे छे, त्यारे भाषामां तेवो नियम नथी. भाषामा उक्तार्थ कर्म बीजी विभक्तिमां पण आवे छे अने प्रथमा विभक्तिमां पण आवे छे. तात्पर्य ए के भाषामां भूतकृदंतो क्रियापदने स्थाने वपरावा लाग्यां छतां तेमां, क्रियापदमां अघटमान एवां जाति अने विशेष्य प्रमाणेनुं परिवर्तन टकी रह्यां छे अने विभक्ति तो एक प्रथमा ज तेने लागे छे. ___ भाषामां पण जे भूतकृदंतो क्रियापदरूपे वपराय छे तेमांनां केटलांक सीधां संस्कृत ऊपरथी प्राकृतना वर्ण विकारने पामीने आवेलां छे अने केटलांक प्राकृतनी प्रक्रियाथी ज पहेलेथी सधाईने पछी भाषामां आवेलां छे. __ आपणी भाषामां विशेषे करीने भूतकृदन्तोमांथी भूतकाळसूचक क्रियापदो आव्यां छे. एथी मूक्युं, चूक्यो, लाग्यो वगेरे प्रयोगोमां ‘मुक्त' ऊपरथी 'मुक्क' 'च्युतक' ऊपरथी 'चुक्क' अने 'लग्न' ऊपरथी 'लग्ग' आवे त्यार बाद ते द्वारा भूतकाळ सूचववानुं थतां वळी पाछो भूतकृदंतने
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org