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( २ ) वादिदेवसूरि
गुजराती भाषानी उत्क्रान्ति
| कोइल कोयल
वाणि वाण
सोते
नमे नमेउ-नमो
देवसूरिना शब्दो
जयओ-जयो ( जय पामो )
मोडिअ - मोड्यु
जिम - जेम
खडुलाई रुंखडलां
सिंचाइ -सींचे
चक्खाणंतओ-वखाणतो - खाणतो
वयणु-वेण
जिणि जेणे
सोसीउ - शोषन्युं - शोष्यं
जो - जे
नंदउ - नंदो
वूहउ - बह्यो
सत्थाहु--सथवारो
सुमरियई - सुमरीए - समरीए गख्यउ गरवो
मज्जहिं - माचे हे - माचे छे.
जे तणा - जे तणा -- जेना
संख - संख्या रयणह-रतननी
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खाणि-खाण
दलेइ-दे छे.
आवई - आवे
नासइ- नासे
नउलुनोळ नोळियो ठावड - ठाडे -स्थाने
हिंड - हिंडे
मोरह तणा - मोर तणा - मोरना
सप्पु - साप
हंसुला - हंसला
गउ-गयुं
विहल - विफल
दिडु - दीठो
संपडहिं-सांपडे हे सांपडे छे.
छिदहिं-छेदे हे-छेदे छे.
जाल--जाळ
रणिहिं- यणिए (रेण्ये ) उडिउ ऊठयो
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