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________________ गुजराती भाषानी उत्क्रान्ति आ० हेमचंद्र गुजराती छे एटले तेओ पोते रचेला व्याकरणमां व्यापक अपभ्रंशमां समायेली एवी पोताना समयनी अने पोताना प्रदेशनी भाषानां व्यापक लक्षणो आपे ए स्वाभाविक छे अने एम छे माटे तेमनां ए लक्षणोने वर्तमान गुजरातीनी अपेक्षाए ऊगती गुजरातीनां लक्षणो कहुं हुं. वळी, तेमणे रवेलां उक्त पद्यो अने बीजां उदाहरणोथी पण एम जणाई आवे छे के तेओ पोताना समयनी गुजराती भाषाने समझावी रह्या छे जेने में अहीं 'ऊगती गुजराती' नाम आप्युं छे. हेमचंद्र बीजा कोई अपभ्रंशोनो निषेध नथी करता परंतु ते बाबत कशी चर्चा पण नयी करता, ए ध्यानमा राखवानुं छे. नामविभक्ति (१४) नामनी विभक्तिओ अकारान्त नाम-नरजाति २०४ एकवचन प्रथमा उ, 22371,0 द्वितीया उ, ० तृतीया एण, एं बहुवचन ० Jain Education International ८-४-३३१ ( ८-४-३३२ ० [८-४-३३१ ८-४-३३३ हिं, एहिं ८-४-३४२ ८-४-३४७ ८-४-३३५ २२५ नानको, रेवलो, घोडो, गधेडो, बाजरो वगेरे प्रयोगोमां जे अंतिम 'ओ' छे ते ज आ प्रत्यय छे. ज्यां छे त्यां प्रत्ययनो लोप समझवानो छे. माणस, कुंभार, लुहार वगेरे रूपो लुप्त प्रत्ययवाळां छे. ० २२६ में, तें, तेणें, माणसें वगेरे तृतीया विभक्तिवाळां रूपोमां जे अंतिम 'ए' छे तेज आ प्रत्यय छे. केणे, जेणे, एणे वगेरेमां 'एण' प्रत्यय वपरायेलो छे. For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004874
Book TitleGujarati Bhashani Utkranti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherMumbai University
Publication Year1943
Total Pages706
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, History, & Grammar
File Size22 MB
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