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२००
८-४-४१४
८-४-४१५
८-४-४१६
८-४-४१९
गुजराती भाषानी उत्क्रान्ति
प्राउ
प्राइव
प्राइम्व
पम्गिम्व
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अनु अनह
८-४-४१७ तो
८-४-४१८ एम्व
पर
समाणु
ध्रुवु
मं
मणाउ
किर
अहवइ
दिवे
}
कउ ) ( कुतः )
}
कहन्तिहु
सहुं
नाहिं
( प्रायः )
( अन्यथा )
[ ( ततः )
(( तदा )
(एवम्)
( परम् )
(समम् )
( ध्रुवम् )
( मा )
( मनाक् )
(किल )
( अथवा )
( दिवा)
(सह )
( नहि )
प्रायः- प्राये
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बीजी रीते
क्यांथी
तेथी
त्यारे
ऐम
पण
साथै
ध्रुव
मा
मणा
निश्चय
२१८ एतद् + एवम् - एतदेवम् - प्रा० एअएवं - एअएवँ एवं एम । एतद्-ए, एवम् - एम. जुओ टिप्पण २१५
अथवा
दिवस
साथै
नहीं
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