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आमुख
भाषाओमां-छे मात्र ते ते भाषाओमां सरलउच्चारणनी प्रधानताने कारणे ते ते स्वरो अने व्यंजनो सेजसाज परिवर्तन पामे छे. आ रीते उक्त बन्ने संस्कृत अने बीजी बधी प्राकृतो एक समान छे छतां प्राकृत भाषाओने नीचं स्थान शा माटे ? अने उक्त बन्ने संस्कृत भाषाने उच्चस्थान शा माटे ? आ प्रश्न अवश्य विचारणीय छे. आ संबंधे जे खुलासो हुं समझुं छु ते अहीं संक्षेपमां बतायूँ छु: ।
ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य अने शूद्र ए चारेना आत्मामां कशोज भेद नथी, जगनियंताए तो ए चारेने एकसरखा प्रेमथी सा छे, तेम ए चारेना देहनी आकृति के अवयवोमां कशोज भेद नथी. जन्मे छे त्यारे तो ते बधा य एक सरखा ज होय छे छतां य एक समय एवो हतो के ज्यारे एम मनातुं के “वर्णानां ब्राह्मणो गुरुः" अर्थात् बधा य वर्णोमां ब्राह्मण ज श्रेष्ठ छे. ब्राह्मण ज ब्रह्मदेव- मुख छे, हाथ क्षत्रिय छे, जांघ वैश्य छे अने पग शूद्र छे. आ देशमां ज्यारे धर्मगुरुओनी (मुख्यत्वे ब्राह्मणोनी) सत्ता जोर ऊपर हती त्यारनी आ मान्यता छे अने ए मान्यताने लीधे क्षत्रियोने, वैश्योने अने समाजना पायारूप शुद्रोने जे जे अन्यायो थया छे ते बधा जाणीता छे. मनुस्मृति वगेरे स्मृतिओ तेनी साक्षीरूप छे. मने लागे छ के ब्राह्मणसत्ताक समयमा जेम अन्य वर्णोने हलका-नीच-पतित कहेवामां आव्या छे अने तेमने ब्राह्मण करतां घणा ज ओछा अधिकारो आपवामां आव्या छे अने समस्त स्त्रीवर्गने तो सर्वथा अधम मानीने तेनो भणवानो अधिकार पण खूचवी लेवामां आव्यो छे. तेम ब्राह्मणोए ब्राह्मणेतर वर्णनी अने आम लोकमां प्रचार पामेली भाषाने 'अपभ्रंश' एवं हलकुं नाम आपीने लोकभाषानो तिरस्कार को छे. अभण ब्राह्मणो, तेमनी पत्नीओ, (जुओ टि. १४८) अने ब्राह्मणोनां बालको सुद्धा 'अपभ्रंश 'नो उपयोग करतां हतां तेम छतां जातिवादने प्रधानस्थान आपनारा ते समयना ब्राह्मणोना अमुक वर्गे लोकभाषाने हलकी कहेवानी धृष्टता करेली छे तेने ज परिणामे 'संस्कृत तो देवभाषा छे अने प्राकृत वगेरे भाषाओ हलकी छे' एवी भ्रामक मान्यता फेलायेली छे. लोकभाषा हलकी ज होय तो शुं वेदोनी भाषा लोकभाषा नथी ? पाणिनि जेने शिष्टभाषा कहे छे तेना करतां वेदभाषा तद्दन जुदा प्रकारनी छे, तेना प्रयोगो पण तद्दन विलक्षण छे. जेम जेम हुं विचार करूं छु तेम तेम मने स्पष्ट जणाय छे के वेदोमां वपरायेली भाषा ते समयना लोकोनी प्रकृतिसिद्ध-स्वाभाविक-भाषा छे. जे भाषा प्रकृतिसिद्ध-प्राकृत-होय तेने हलकी केम कहेवाय ? वळी, बीजी बीजी प्राकृतो अने वेदोनी ए स्वाभाविक भाषा वच्चे गाढ संबंध पण छे. प्राकृतभाषा
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