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वरण होय त्या अर्थात् आ अटवीना एवा कोई बोजा प्रदेशने मने तुं बताव. भील बोल्यो-तारी आवी इच्छा छे तो मारी साथे आव, तने बतावू. पछी ए बन्ने बीजा कोई गहन वनमां गया. ते गहन वन केQ छे ? त्यां एक ठेकाणे राता चंदन [पृ०५२] वडे आलेखेल मंडल छे अने ए, तेमां मूकेल राता कणेरनां फूलोनी माळाने लीधे चमकी रा छे, बीजे ठेकाणे मन्त्रवादी लोको गूगळनी गोळीओनो होम करता होवाथी त्यां ते गन्ध फेलाई जवाथी ते (स्थान) सुन्दर लाग छे, वळी, एक ठेकाणे भेगा थयेला धातुवादी -किमियागर-लोको धातुपाषाणने तपावी रह्या छे, एक ठेकाणे जुदा जुदा प्रकारनी औषधिओना रसने नाखी लक्ष्मी-सुवर्ण वगेरे मेळववा सारु भस्म बनाववानी साधना चाली रही छे, एक ठेकाणे पद्मासन लगावीने बेठेला योगी लोको मननी शुद्धि करी रह्या छे. हवे कुमार आवी जातना ते प्रदेशने जोईने खुब विस्मय पाम्यो अने पेला भीलने पूछवा लाग्यो-हे भला भाई आ प्रदेशनुं शुं नाम छे ? भोल बोल्यो ---सिद्धक्षेत्र. आ सांभळी कुमारे विचायु, अहो ! आनुं नाम जोतां पण आनो उतम महिमा समजी शकाय एम छे. मने नक्की लागे छे के एवी कोई आश्चर्यकारक वस्तु नथी जे अहीं न होय. माटे मारे आ प्रदेशने सारी रीते. स्थिर दृष्टि वडे जोवो जोईए. एटले आ भीलने तेने स्थाने पाछो मोकलीने आ प्रदेशने हुँ निरांते जोडं. आम विचारीने कुमारे भीलने का-हे भला माणस तुं तारी गुफामां जा अने हुं पण थोडी वार अहीं फरोने मारा कुतूहळने शांत करीने पाछो फरी जईश. भील बोल्यो-आर्य ! आ स्था
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