________________
वृक्षोना फूलोमांथी पसरता सुगन्धने लोधे एवो रमणीय लागे छे जाणे के सुगंधी वस्तु वेचनार गाँधी- हाट ज न होय. २
जे वसन्तमां केसुडांना वृक्षो पोतानां खोलेला फूलना समूहथी ढंकायेला होवाथी लाल-चोळ, केम जाणे पथिक-प्रवासी जनोना फुटी गयेला हृदयमांथी तत्काल नीकलेळा ताजा लोहीथी लेपायेला तरबोळ थया न होय एवा शोभे छे. ३ ___ जे वसन्तऋतुमां आखं वन केम जाणे नाचतुं होय एम आनन्दित जणाय छे. ए वनमां कोकिलाओनो कलरव ए गीत छे, भमराओनो गुंजारव ए वाजां छे अने पवनथी हलता वृक्षोना पल्लवो ए रासलेवानी बाहुलताओ छे. ४ ।
जे वसन्तमा जुवान लोको मकरध्वजने जीवाडवा माटे मदिरा, उत्तम औषधिओनो रस न . होय एम मानीने स्त्रीना मुखकमलनी वास जेमां भळेल होवाथी सारी सुगन्धित बनेली एवी मदिराने पीए छे. ५
ए वसंत ऋतुनी लक्ष्मी केम जाणे कमळरूप मुखवडे गायन करती होय एवी शोभे छे, ए लक्ष्मीना दाँत विचकिलनी-बेलानी कळीओ छे, कुवलय आंखो छे, हंसोना कलरव ते शब्दो छे अने कमळ मुख छ.६
विषपुष्पोमांथी फेलातो गंध जेम लोकोने बेभान करी नाखे छे तेमज प्रवासी लोकोने पोतानी प्रणयिनीओनुं स्मरण थतां बकुलनां फूलोमांथी तेमना ऊपर पसरतो-आवतो गंध तेमने विलुप्तचैतन्यबेभान-मूर्छित करी मूके छे. ७ ____ ज्यारे आकाशमां ताराओ उग्या होय, अने आकाशनी जे शोभा देखाय छे ते शोभाने जे वसंतऋतुमां विकसेल धोळां पुष्पोना
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org