SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 87
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ –माटे बेठेला पशुओने खेडुतो मार मारीने बेठा करवा लाग्या, रास लेती चर्चरीओना-मंडळीओना वाजांनो मधुर घोष संभळावा. लाग्यो, तरुखंडना मांडवाओमां चारे कोर हिंडोळा बंधावा लाग्या. जेम वीतराग पुरुषनी पाछळ 'अतिमुक्तक गयेल छे तेम आ वसंत ऋतु आवतां ज तेनी पाछळ चारे कोर अतिमुक्तकनी वेलो खीली उठी छे, जेम लक्ष्मीनाथ-श्रीकृष्ण भमराओना टोळा जेवी श्याम कांतिवाळा छे तेम वसंत ऋतु भमराओ चारे बाजु वनमां उडता होवाने लीधे श्याम कान्तिवाळी छे, जेम मानससरोवर पाटलाना हसणीनां बच्चाओने लीधे सुन्दर लागे छे तेम वसंतऋतु पाटलवृ. क्षोनां खीलेला फूलोने लीधे सुन्दर लागे छे, जेम तरुणीस्त्रीओ स्निग्ध तिलकोथी सुशोभित छे, तेम वसन्तऋतु चीकाशदार लोध्र अने तिलक ना वृक्षोथी सुशोभित छे. जेम मुनि अशोकयुक्त होय छे अर्थात मुनि शोकरहित होय छे तेम वसन्तऋतु अशोक नामना वृक्षोथी व्याप्त छे. वळी पृ०५०] जे वसन्तमां उनाळाना तापने सीधे संताप पामेला जंगली पाडानां टोळां खाबोचियाना गारावाळां पाणीमां पोतानां अंगे अंगने तरबोळ करता जाणे कोई पर्वतना शिखरो होय एवा ऊँचा देखाय छे. १ जे वसन्तमा उत्तमवननो विस्तार कुटज सिलिघ्र 'शिरीष वगैरे १ अतिमुक्तक नामनो कुमार भगवान महावीर ज्यारे तेने घरे भिक्षा माटे पधार्या त्यारे तेमनी पाछळ पाछळ गयो हतो. २ कुटज-इन्द्रजव. भाषामां अंदरजव । ३ छत्रक नामर्नु वृक्ष. ४ शिरोष-सरसडी. जेनां फूल घणां कोमल तथा सुगन्धित होय छे. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004873
Book TitleMahavira Charit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherPrakrit Vidya Mandal Ahmedabad
Publication Year1966
Total Pages154
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, History, & Story
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy