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________________ ७४ मोटा मोटां बोर जेवां मोतीनो भ्रम करावे एवा परसेवानां बिंदु ओना समूहने लीधे तेनुं कपाळ चमकवा लाग्यु. एवो ते पेली चित्रपट्टिकाने जोवाथी परसेवे रेबझेब थई गयो. कुमारनी आ परिस्थिति जोइने तेना मननो भाव जेने समजाइ गयेल छे तेवा पासे बेठेला माणसे चित्रपट्टिका जोया पछी कुमारनी आवी दशा थयानी वात राजाने कही संभळावी. वात सांभळीने राजाने खूब संतोष थयो अने राजाए पेला चित्रपट्टिका लावनार दूतने समाचार आप्या के अरे! मारा कुमारनो तारा राजानी पुत्री उपर स्नेहभाव थयो छे एम जणाय छे पण ए रत्नावली राजकुमारीनो मारा कुमार सूरसेन तरफ केवोक स्नेहभाव थाय छे ए हवे जाणी लेवू जोईए. कारण के - ___ परणनार बे जणमां एक स्नेहथी भरपूर होय अने बीजुं स्नेह वगरनु होय त्यारे एवा स्त्रीपुरुषोना भोगो मात्र विडम्बना रूप ज निवडे छे. १ परणनार बन्ने जण वच्चे बनावट वगरनो, वांको नहीं पण सरळ सीधो अने परस्परनां छिद्र जोवानी वृत्ति वगरनो एवो प्रेम अने एवो प्रेम बन्ने वच्चे एकसरखो होय तो ज जगतमां एवो प्रेम वखणाय छे. २ .. [पृ० ४६] आ सांभळीने दूत बोल्यो-हे देव तमारी वात तदन खरी छे. माटे अमारी राजकुमारी रत्नावलीने बताववा माटे तमारा राजकुमारचं रूप जेमा आलेखेल होय तेवी तेनी चित्रपट्टिका आपो. राजा बोल्यो, तारी आ वात युक्त छे. पछी राजाए राजकुमारचं रूप फलक उपर आलेखीने रोते ते चित्रपट्टिका दूतने आपी. कालक्रमे ए दूत Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004873
Book TitleMahavira Charit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherPrakrit Vidya Mandal Ahmedabad
Publication Year1966
Total Pages154
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, History, & Story
File Size6 MB
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