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________________ ४२ आटला दिवसो सुधी में तमारी साथै सुखदुःख समानभावे सहन कर्या कर्तुं तो पण तमने मारामां स्नेह केम न थयो ? अहो तमारुं हृदय पत्थर जेवुं निष्ठुर-नठोर छे. ८ [पृ० २६ ] सिद्धार्थे कहां के तुं अमारा उपर अमथो अमथो वगर कारणे शा माटे रोष करे छे ? जो तुं तारी जातने ज तारी पोतानी मेळे तोफानो के चाळा के आळवीतराई करती अटकावे तो बस छे. ९ हवे कायोत्सर्ग पारीने स्वामी त्यांथी पण नीकलीने आवत्तआवर्त नामना ग्राममां जई बलदेवना मंदिरमां कायोत्सर्ग करी ध्यानमा रह्या. १० त्यां पण कलह करवामां ज मोज मानतो गोशालो पोतानुं मोढुं फाडीने अने छोकरांओने बीवरावतां हजु हमणां ज मार खाधो छे ते आगळना अनर्थने भूली जई ते मन्दिरमां रमवा आवेलां छोकओने बीवराववा लाग्यो, ११ बीने छोकराओ रोवा लाग्या अने पोताना माबाप पासे रोता रोता जइने गोशाळानी फरियाद करवा लाग्या. तेथी माबापोए बळी फरी तेने पूर्वनी पठे ज सारीरीते मार मार्यो. १२ गोशाळाने मार मारता लोकोने गामना मोटा लोकोए की के नकामो आ विचाराने शा माटे मारो छो ? तोफान के अटकचाळा करतां तेने नहीं रोकनार तेना गुरुनो ज खरी रीते आ वांक छे. १३ मोटा लोकोए आम कहां तेथी ए गोशाळाने पीटनारा लोको एकदम जगतनी असाधारण आँख समान एवा भगवान तरफ वल्या Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004873
Book TitleMahavira Charit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherPrakrit Vidya Mandal Ahmedabad
Publication Year1966
Total Pages154
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, History, & Story
File Size6 MB
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