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________________ हवे आर्बु भयानक रूप अचानक सामे आवतुं जोईने भय पामेलां ए बधां छोकरांओ झट झट पाछा गाम तरफ दोडवा लाग्या. १ दोडतां दोडतां तेमांना केटलाक बेबाकळा थवाने लीधे रस्तामां पडी गया, कोईना साथळनुं हाडकुं भागी गयु, कोईर्नु माथु फूट्युं अने कोईनो पग टळी गयो-मरडाई गयो अथवा भांगी गयो. २ ___ वळी, केटलांक छोकरांओनां हाथ पग तथा केड उपर पहेरेलां घरेणां नीकळी पड्यां अने बीकने लीधे केटलांकनां तो कपडां पण नीकळी पड्यां. ३ हवे छोकरांओना माबाप आवी बधी गरबड जोईने रोषे भराया अने गोशाळाने दोष, मूळ गणीने कहेवा लाग्या. ४. ____ अरे पापी, रे पिशाच जेवा ! तुं शा माटे अमारां छोकरांओने अहीं बीवरावे छे. एम गोशाळकने खूब ठपको आपीने विवश थयेला तेने सारी रीते तेओए त्यां कूटी नाख्यो. ५ ए रीते गोशाळाने मार खातो जोईने गामना वृद्ध पुरुषो ते मावापोने मारतां अटकावे छे अने कहे छे के, देवार्यनो आ खरेखर शिष्य छे माटे तमे तेने छोडी मूको. ६ कोई पण रं ते तेओए छोडी दीधो एटले गोशाळो भगवान पासे आवीने कहेवा लाग्यो के, ज्यारे हुं मार खातो हतो त्यारे तमे मात्र जोई रह्या ए शुं ठीक कहेवाय ? ७ Jain Education International For Private & Personal Use Only ____www.jainelibrary.org
SR No.004873
Book TitleMahavira Charit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherPrakrit Vidya Mandal Ahmedabad
Publication Year1966
Total Pages154
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, History, & Story
File Size6 MB
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