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________________ १०७ नीचे ढाळी दई मौन रही. खरी वात जाण्या पछी धात्री बोली-लांबा वखते मळेला कुमारनुं स्वागत छे स्वागत छे, पछी तो कुमार आव्याना समाचार राजाने जणाव्या. आ वखते पेला कनकचूड विद्याधरे विनंति करी-बोल्यो-कुमार ! तमारा मनोरथ पूरा थाय, हवे मने मारे पोताने स्थाने पाछा फरवानी रजा-अनुमति-आपो. आ सांभळी तेनो-विद्याधरनो-वियोग थयो एथी कुमारनुं मन जरा कायर थयु तो पण महापराणे कुमारे विद्याधरने विदाय आपी, विद्याधरे तो पाछा वळतां ज पेला चारणमुनिनी पासे सारा भाव साथे प्रव्रज्या लीधी. कुमार पण रत्नावली साथे पोताना पडावमां गयो, राजाने मळ्यो अने बनेलो बधो ज वृत्तान्त कही संभळाव्यो. [पृ०६५] कुमारना आववाथी वधामणां थयां, पेला पकडी राखेला भीलनो आदर करीने तेने मुक्त करी दीधो, राजा हवे पोताना नगर तरफ पाछो फर्यो अने प्रयाण करतां करतां पोताना नगरमां पहोंच्यो. रहेवा माटे कुमारने सुन्दर मोटो महेल सोंपवामां आव्यो अने तेमां रहीने विविध क्रीडाओ करतो कुमार दिवसो वितावे छे. वखत जतां ते महासेन राजा मरण पाम्यो, तेनी पाछळ कुमारे मृतक कर्मो कर्या (मृतककर्मो एटले मर्या पाछळ जे कांई विधि करवामां आवे छे, ते मरणोत्तर बधी क्रियाओ). कुमारे राज्य स्वीकार्यु अने राजनीति प्रमाणे कुमार पृथ्वीनू परिपालन करे छे. वखत जतां मुनिधर्म ने सारी रीते जाण. नारा, सूत्र अर्थने बराबर समजेला, विहार करता करता ते कनकचूड मुनि त्यां बहारना उद्यान- वन--मां आवो पहोंच्या, ते मुनिने त्यां आज्या जाणी सुरसेनराजा तेने वन्दन करवा माटे आव्या, राजाए Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004873
Book TitleMahavira Charit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherPrakrit Vidya Mandal Ahmedabad
Publication Year1966
Total Pages154
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, History, & Story
File Size6 MB
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