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स्वावानो अने रात्रे भोजन पण नहीं करवानो नियम आपो. साधुएं पण योग्यता जाणीने तेणे जे नियम माग्यो ते आप्यो, पछी गुरुने वंदन करीने पोताने घेर गया. कनकचूडे उत्तम घरेणां आभूषण वगेरे चीजो आपीने कुमारतुं सन्मान कर्यु अने ते कुमारने कहेवा लाग्योहे कुमार ! मने हवे आ संसारथी वैराग्य थयो छे, हवे दीक्षा लईने आत्माने निष्पाप करीश माटे हवे मारे जे कांई करवानुं योग्य जणाय ते मने कहा. कुमार बोल्यो, हुं शुं कहुँ ? तमारो समागम छोडो भारे कठण छे, पण मारे एने छोडवो ज पडशे. मारो स्वजनपरिवार तथा मारा वडलो घणा काळथी माराथी छूटा पडचा ले हवे तो तेओ मने जोवा सारु उत्कंठित पण थया हशे अने एथी तेओ गमे तेम काल वीतावता हशे एटले एमनी चिंताने लोधे माझं मन खूब संताप पामे छे. आ सांभळी कनकचूड बोल्यो-जो एम होय तो आपणे हवे त्यां जईए. आवात कुमारे स्वीकारी लाघो अने पछी विमान उपर चढीने ते बन्ने चालवा मांड्या.
Tea आ तरफ कुमारना परिवारना केवा हाल थया छे ते जोईएए विपरीत तालीम पामेलो अवळचंडो घोड़ो कुमारने क्यांनो क्यां खेची गयो, पछी तेनी - कुमारनी साथेनो जे सैन्यपरिवार हतो ते कुमारनी घणी वाट जोया पछी कुमारने शोधवा आखुं जंगल खुन्दी वळ्यो पण क्यांय कुमारनो पत्तो न लाग्यो. कुमारना समाचार न मलवाथी आनन्द वगरनो थयेलो ते परिवार निरुत्साही बनीने सिरिपुर नगर तरफ गयो. राजाने कुमार न मलवानी हकीकत जगावी. पछी तो राजानुं जाणे तन, मन
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