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चित्र ३१
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TALANTU
चरणविहिं पवक्खामि जीवस्स उ सुहावहं ।
जं चरिता बहू जीवा, तिन्ना संसारसागरं ॥ अ० ३१ गा० १ ॥
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इइ पपसु जे भिक्खु, ठाणेसु जयई सया ।
खिपं ते सव्वसंसारा, विष्पमुच्चइ पंडिए ॥ अ० ३१ गा० २१ ॥
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श्री उत्तराध्ययन अ०३१
६३
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