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चित्र १०
दुमपत्तए पंडुरप जहा, निवइ राइ गणाण अच्चए । पर्व मणुयाण जीवियं, समयं गोयम! मा पमायए । अ०१० गा०१॥
श्री
उत्तराध्ययन अ०१०
सकस
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बुद्धस्स निसम्म भासियं, सुकहियम पदोपसोहियं । रागं दोस च छिदिया, सिद्धिगई गए गोयमे ॥ अ०१० गा०३७ ।।
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