________________
લધુવૃત્તિ-અeટમ અધ્યાયપ્રથમ પાદ
गिद्धी-गृद्धिः-बोलुपता किसो-कृशः-श-श-पात। किसाणू-कृशानु:-मकिन किसरा-कृसरा-भायही किच्छं-कृच्छम्-दु:५ तिप्प -तृप्तम्-तृप्त, संतुष्ट किसिओ-कृषित:-येसा, पेडूत निवो-नृपः-२१ किच्चा-कृत्या-देवसधा पूरन वगेरे । किई-कृति:धिई-धृतिः-धै किवो-कृपः-समर्थ किविणो-कृपणः-१५ किवाणं-कृपाणम्-२पाए-त२वार विञ्चुओ-वृश्चिकः-नी छ वित्तं-वृत्तम्-७४, सहवास, मनी गये, यरित्र वित्ती-वृत्ति:-पतन हिअ-हृतम्-७२ वाहित्त-व्याहृतम्-त्यु विहिओ-बृंहित:-पाणु-पहाणु विसी-सी-*विमान सानु सासन-३५-५म' इसी-ऋषि:-षि विइण्हो-वितृष्णः-विशेष तृश्शशवाणे! अथवा तु वरना छिहा-स्पृहा-२५९। सइ-सकृत्-मे पार उकिट-उत्कृष्रम्-3ष्टि
निसंसो-नृशंस:-धाता બહુલાધિકારને લીધે કોઈ શબ્દમાં આદિના બને ૬ થતો નથી.
रिद्धी ऋद्धिः-२५-२ढीमा-*
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org