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સિદ્ધહેમચંદ્ર શબ્દાનુશાસન
निर्नेः स्फुर-स्फुलोः ॥२ । ३। ५३ ॥ निर नि पछी आवसा स्फुर् धातुन तथा निर् , नि पछी आवे। स्फुल धातुना सना ष् विक्ष्ये याय छे.
निर्+स्फुरति=निःष्फुरति, निःस्फुरति-निर त२ २२२ छे. नि+स्फुरति-निष्फुरति, निस्फुरति- " "
निर्+स्फुलति=निःष्फुलति, निःस्फुलति-निरन्तर ले छे. नि+स्फुलति-निष्फुलति, निस्फुलति- ,, , ।२। 3 । ५३ ॥
__वेः ॥ २।३। ५४॥ वि उपस पछी आवक्षा स्फुर् अने स्फुल घातुन स् न प विपे थाय छे.
स्फुर्-वि+स्फुरति=विष्फुरति, विस्फुरति-विशेष २ रे . स्फुल्-वि+स्फुलति=विष्फुलति, विस्फुलति-विशेष से छ
! ૨ | ૩ | ૫૪ . स्कभ्नः ॥२।३। ५५ ॥ वि ५४ी स्कन्न धातुना स् नो ए याय छे. वि+स्कभ्नाति=विष्कभ्नाति-विशेष मांधे छे. ॥२ । ३१ ५५ ॥
निर्-दुः-सु-वेः सम-सूतेः ॥२।३। ५६ ।। निर् दुर् सु अने वि पछी माया सम अने सूति शम्हाना स् । ष् थाय छे.
समनिर्+समः=निःषमः- निर १२ समता अथवा समता रानु दुर्+समः-दुःषमः-४४. सु+समः सुषमः-सर-सा वि+सम: विषमः-वसभु
सूति-- नि+सूतिः निषतिः- निरंतर प्रसप. दुर्+सूतिः दुःषतिः-१२। प्रसव.
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