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रत्नपरीक्षा
( २३९) मेहे रवितेयसमा सुराण कीडंतकहवनि वडंति । कणयन परं पत्ता गरुया लहुया वि रज्जकरा ॥४६॥ एए हुंति अवेहा अमुल्लयमाण विद्धिकरा ।। लोए पहिरणजुग्गा लहु-बहु-मुल्ला य सिप्पभवा ॥४७॥ रामावलोइ बब्बरि सिंघलकंतारि पारसीए य ।
केसियदेसेसु तहा उयहितडे सिप्पिजा हुंति ॥४८॥ इंदनीलं जहा
नीलघणमोरकंठय अलसी गिरि कन्निकुसुमसंकासा ।
अइतेया सुसणेहा सिंघलदिवम्मि नीलसणी ॥४९॥ विदुमं जहा
वल्लीरुवं कच्छवि पवालय होइ उयहिमज्झम्मि ।
बहुरत्त कढिणकोमल जह नालं सव्वसुसणेहं ॥५०॥ वइडुज्जं जहा
रयणायरस्स मज्झे कुवियं गयनाम जण चउतत्थ ।
चइमुरनगे जायइ वइडुज्ज वंसपत्तासं ॥५१॥ कक्केयगं जहा
पवणुत्थठाणदेसे जायइ कक्केयगं सखाणीओ ।
तंब य सुपक्कमहुयचयनीलाभं सुदिढ सुसणेहं ॥५२॥ गोमेयं जहा
सिरिनायकुलपरेवमदेसे तह जम्मलनईमज्झे ।
गोमय इंदगोवं सुसणेहं पंडुरं पीयं ॥५३॥ फलिहं जहा
नयवालेकसमीरे चीणे काबेरि जउणनइकूले । विंझनगे उप्पज्जइ फलिहं अइनिम्मलं सेयं ॥५४॥ उप्पतीओ अग्गी ससिकंतीउ झरेइ अमियजलं ।
रविकंत चंदकंते दुन्नि वि फलिहाउ जायंति ॥५५॥ पुस्सरागभीसमं जहा---
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