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________________ मरगय (२३८) रत्नपरीक्षा माणिक्क पउमरागं चुन्नि य नामाई नायव्वा ॥३३॥ रामण गंगनईतडिसिंघलि कलसउरि तुंबरे देसे । नील घण भगव तंब य छाया आगरविसेसाओ ॥३४॥ सुरुव्व किरण पसरा अइकोमल अग्गिवण्णं सुसणेहा । जा कणय समं कढिया अक्खीणा सा फलहि नेया ॥३५॥ हिंगुल य तह कुसंभय कोइल सारिस चकोरचक्खुसमा । वण्णेण सावगंधय मंदा एयाउ कुरुबिन्द ॥३६॥ जा मणिया विनेया जंबू कणवीर रत्तपुप्फसमा । मुल्लुस्संतरमेयं वीसं बार ट्ठ पण विसु वा ॥३७॥ मरगयं जहा अवणिंद-मलय-पव्वय-बब्बरदेसेसु उयहितीरे य । गरुडस्स य कंठ उरे हवंति महामणिणो ॥३८॥ गरुडोदगार पढमा कीरउठी बीय तइअ मुंगउनी । वासवईय चउत्थी धूलि मराई य पण जाई ॥३९॥ गरुडोदगाररम्मा नीला अइकोमला य विसहरणा । कीडउठिसुहमच्चा सुनइडकीडस्स पंखसमा ॥४०॥ मुंगउनी स सुणेहा नील हरिय कीरकंठ सारिच्छा । कढिणा अमला हरिया वासवई होइ विसहरणा ॥४१॥ धूलि मराई गरुया रुक्खा घणनील कच्चसारिच्छा । मुल्ले वीसविसोवा दह ट्ठ तह पंच दुन्नि कमे ॥४२॥ मुत्ताहलं जहागजकुंभि संखमज्झे मच्छमुहे वंसि कोलदाढे य । सप्पसिरे तह मेहे सिप्पउडे मुत्तिया हुंति ॥४३॥ नागे पीया रत्ता मच्छे सामा समुज्जला संखे । सूयरदाढे वट्टा घियवण्णा सालफलतुल्ला ॥४४॥ वंसे करयसमाणा हवंति कच्छवनसव्वभूमीसु । सप्पे नीला अमला विसवाहीविच्छनासयरा ॥४५॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004647
Book TitleVastusara Prakarana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagwandas Jain
PublisherRaj Rajendra Prakashan Trust
Publication Year1989
Total Pages278
LanguageGujarati, Sanskrit
ClassificationBook_Gujarati, Art, & Culture
File Size8 MB
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