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________________ अंत्य देव ४ ( २१६ ) वास्तुसारे जिनेश्वरनां नक्षत्रआदि जाणवानुं चक्र-- |अंक जिननाम नक्षत्र । योनि । गण | तारा | राशि राशीश्वर नाडी | वर्गवर्गेश्वर १ ऋषभदेव | उत्तराषाढा नकुल | मनुष्य | ३ | धन | गुरु | अंत्य १ गरुड २ अजितनाथ रोहिणी | सर्प । मनुष्य | ४ | वृषभ शुक्र अंत्य. १ गरुड ३ संभवनाथ मृगशिर | सर्प देव | ५ | मिथुन बुध मध्य ८ मेष ४ | अभिनंदन पुनर्वसु | बिडाल देव । ७ मिथुन बुध आद्य ५ सुमति मघा उंदर राक्षस | १ | सिंह सूर्य अंत्य ८ मेष ६ | पद्मप्रभ | चित्रा व्याघ्र राक्षस कन्या| बुध मध्य ६ उंदर ७ सपार्श्व - विशाखा व्याघ्र राक्षस ७ तुला शुक्र ८ मेष ८ चंद्रप्रभ । अनुराधा | हरिण देव । ८ वृश्चिक मंगल मध्य ३ सिंह ९ सुविधि | मूल श्वान । राक्षस धन गुरु आद्य ८ मेष १० शीतल पूर्वाषाढा | वानर मनुष्य | गुरु मध्य | श्रेयांस श्रवण वानर मकर शनि अंत्य मेष १२ वासुपूज्य शतभिषा | अश्व राक्षस ६ आद्य ७ हरिण १३ विमल उत्तराभाद्रपद गौ। मनुष्य ८ गुरु . मध्य ७ हरिण १४ अनंत रेवती हस्ति - देव मीन | गुरु अंत्य | १ गसड १५ धर्मनाथ पुष्य देव कर्क | चंद्रमा मध्य १६ शान्तिनाथ भरणी हस्ति मनुष्य मंगल मध्य ८ मेष १७ कुंथुनाथ | कृतिका राक्षस | ३ । वृषभ शुक्र | अंत्य २ बिडाल | अरनाथ | रेवती मीन । गुरु अंत्य | १ गरुड १९ मल्लिनाथ अश्विनी अश्व मेष मंगल आद्य ६ उंदर मुनिसुव्रत श्रवण वानर मकर शनि अंत्य ६ उंदर २१ | नमिनाथ | अश्विनी अश्व देव मेष - मंगल आद्य ५ सर्प २२ नेमिनाथ | चित्रा व्याघ्र राक्षस कन्या बुध | मध्य ५ सर्प २३ पार्श्वनाथ | विशाखा | | व्याघ्र राक्षस | शुक्र ६ उंदर २४ महावीर | उत्तरा मनुष्य ३ । कन्या बुध | आद्य ६ उंदर फाल्गुनी मीन गुरु दव अज मेष अज हस्ति | देव । ९ देव । . तुला शुभ अंत्य Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004647
Book TitleVastusara Prakarana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagwandas Jain
PublisherRaj Rajendra Prakashan Trust
Publication Year1989
Total Pages278
LanguageGujarati, Sanskrit
ClassificationBook_Gujarati, Art, & Culture
File Size8 MB
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