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________________ २४६ श्रीरायचन्द्र-जिनागमसंग्रहे शतक २५.-उद्देशक ६. ४९. [प्र०] पुलाए णं भंते ! किं कम्मभूमीए होजा, अकम्मभूमीए होजा? [उ०] गोयमा ! जम्मण-संतिभावं पदुष्प कम्मभूमीएहोजा, णो अकम्मभूमीए होजा । ५०. [प्र०] वउसे णं-पुच्छा । [उ०] गोयमा ! जम्मण-संतिभावं पडुश्च कम्मभूमीए होजा, णो अकम्मभूमीए होजा; साहरणं पडुच्च कम्मभूमीए वा होजा, अकम्मभूमीए वा होजा । एवं जाव-सिणाए । ५१.० पुलाए णं भंते ! कि ओसप्पिणिकाले होजा, उस्सप्पिणिकाले होजा, णोओसप्पिणि-णोउस्सप्पिणिकाले वा होजा? [उ०] गोयमा! ओसप्पिणिकाले वा होजा, उस्सप्पिणिकाले वा होजा, नोओसप्पिणि-नोउस्सप्पिणिकाले वा होजा। ५२. प्रा जइ ओसप्पिणिकाले होजा किं सुसमसुसमाकाले होजा १, सुसमाकाले होजा २, सुसमदूसमाकाले होजा ३, दूसमसुसमाकाले होजा ४, दूसमाकाले होजा ५, दूसमदूसमाकाले होजा ६१ [उ०] गोयमा! जमणं पडुश्च जो सुसमसुसमाकाले होजा १, णो सुसमाकाले होजा २, सुसमदूसमाकाले वा होजा ३, दूसमसुसमाकाले वा होजा है. णो दूसमाकाले होजा ५, णो दूसमदूसमाकाले होजा ६ । संतिभावं पहुश्च णो सुसमसुसमाकाले होजा, णो सुसमाकाले पोजा, सुसमदूसमाकाले वा होजा, दूसमसुसमाकाले वा होजा, दूसमाकाले वा होजा, णो दूसमदूसमाकाले होजा। ५३. [प्र०] जइ उस्सप्पिणिकाले होजा किं दूसमदूसमाकाले होजा १, 'दूसमाकाले होजा २, दूसमसुसमाकाले होजा ३, सुसमदूसमाकाले होजा ४, सुसमाकाले होजा ५, सुसमसुसमाकाले होजा ६१ [उ०] गोयमा ! जमणं पडुच्च णो दूसमसमाकाले होजा १, दूसमाकाले पा होजा २, दूसमसुसमाकाले वा होजा ३, सुसमसमाकाले वा होजा ४, णो सुसमाकाले होजा ५, णो सुसमसुसमाकाले होजा ६ । संतिभावं पडुच णो दूसमसमाकाले होजा १, णो दूसमाकाले होजा २, दूसमसुसमाकाले वा होजा ३, सुसमदूसमाकाले वा होजा ४, णो सुसमाकाले होजा ५, णो सुसमसुसमाकाले होजा ६ । १२ क्षेत्रवारपुलाक अने क्षेत्र. बकुश अने क्षेत्र. १३ कामदार- पुलाकनो काळ. ४९. [प्र०] हे भगवन् ! शुं पुलाक कर्मभूमिमां होय के अकर्मभूमिमां होय ! [उ०] हे गौतम ! *जन्म अने सद्भावने अपेक्षी कर्मभूमिमा होय, पण अकर्मभूमिमां न होय. । ५०. [प्र०] हे भगवन् ! शुं बकुश कर्मभूमिमां होय-इत्यादि पृच्छा. [उ०] हे गौतम | जन्म अने सद्भावने आश्रयी कर्मभूमिमा होय, पण अकर्मभूमिमा न होय, अने संहरणने अपेक्षी कर्मभूमिमां पण होय भने अकर्मभूमिमां पण होय. ए प्रमाणे यावत्-सातक सुधी जाणवू. ५१. [प्र०] हे भगवन् ! शुं पुलाक अवसर्पिणी काळमा होय, उत्सर्पिणी काळमा होय के नोअवसर्पिणी-नोउत्सर्पिणी काळे होय ! [उ०] हे गौतम! अवसर्पिणी काळमां होय, उत्सर्पिणी काळमां होय अने नोअवसर्पिणी-नोउत्सर्पिणी काळे पण होय. ५२. [प्र०] हे भगवन् ! जो ते (पुलाक ) अवसर्पिणी काळमां होय तो शुं १ सुषमसुषमा काळे (पहेला आरामां ) होय, २ सुषमाकाळे (बीजा आरामां) होय, ३ सुषमदुःषमा काळे (त्रीजा आरामां) होय, ४ दुःषमसुषमा (चोथा आरामां) होय, ५ दुःषमा काळे (पांचमा आरामां) होय के ६ दुःषमदुःषमा काळे (छट्ठा आरामां) होय ! [उ०] हे गौतम ! जन्मनी अपेक्षाए सुषमसुषमा अने सुषमा काळे न होय, पण सुषमदुःषमा काळे होय, दुःषमसुषमा काळे होय, दुःषमा काळे न होय अने दुःषमदुःषमा काळे पण न होय. तथा सद्भावनी अपेक्षाए सुषमसुषमा काळे, सुषमाकाळे अने दुःपमदुःषमाकाळे न होय, पण सुषमदुपमा काळे होय, दुःषमसुषमाकाळे होय अने दुःषमा काळे होय. ५३. [प्र०] हे भगवन् ! जो ते (पुलाक) उत्सर्पिणी काळे होय तो शुं १ दुःषमदुःषमा काळे होय, २ दुःषमा काळे होय, ३ दुःषमसुषमा काळे होय, ४ सुषमदुःपमा काळे होय, ५ सुपमा काळे होय के ६ सुषमसुषमा काळे होय ! [उ०] हे गौतम! जन्मने आश्रयी दुःपमदुःषमा काळे न होय, दुःपमा काळे होय, दुःपमसुषमा काळे होय, सुषमदुःषमा काळे होय, पण सुषमा काळे अने सुषमसुपमा काळे न होय. सद्भावने आश्रयी दुःषमदुःषमा काळे न होय, दुःषमा काळे न होय, दुःषमसुषमा काळे होय, सुषमदुःषमा काळे होय, पण सुषमा तथा सुषमसुषमा काळे न होय. ४९* जन्म-उत्पत्ति अने सद्भाव-चारित्रभाव-थी अस्तित्व. जन्म अने सद्भावनी अपेक्षाए पुलाक कर्मभूमिमां होय. एटले त्यां जन्मे अने त्यां विहरे, पण भकर्मभूमिमा उत्पन्न न थाय, केमके त्यां जन्मेलाने चारित्र न होय. तेम संहरणथी अकर्मभूमिमां न होय, कारण के देवादि पुलाकलब्धिवाळाने संहरी न शके. ५१ + काळ त्रण प्रकारनो छे-उत्सर्पिणी, अवसर्पिणी अने नोउत्सर्पिणी-नोअवसर्पिणी. तेमा भरत अने एरावत क्षेत्रमा पहेला बे प्रकारनो काळ छै, भने त्रीजा प्रकारनो काळ महाविदेह अने हैमवतादि क्षेत्रोमा छे. ५२-५३ पुलाक जन्मनी अपेक्षाए त्रीजा अने चोथा आरामा होय, अने सद्भावनी अपेक्षाए त्रीजा, चोथा अने पांचमा आरामां पण होय. तेमां जे चोथा आरामा जन्म्यो होय तेनो पांचमा आरामा सद्भाव होय. त्रीजा अने चोथा भारामा जन्म अने सद्भाव बन्ने होय. उत्सर्पिणीमां बीजा, त्रीजा अने चोथा भारे जन्मथी होय. तेमां बीजा आराने अन्ते जन्मे अने त्रीजा आरामां चारित्रनो स्वीकार करे, श्रीजा भने चोथा आरामा जन्म अने चारित्र बजे होय सद्भावने आश्रयी श्रीजा अने चोथा आरामा ज होय. केमके तेज भारामां चारित्रनी प्रतिपत्ति होय छे.-टीका. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004643
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherDadar Aradhana Bhavan Jain Poshadhshala Trust
Publication Year
Total Pages442
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size15 MB
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