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शतक २०.-उद्देशक ५. भगवत्सुधर्मस्वामिप्रणीत भगवतीसूत्र,
१०३ कालए य हालिहए य ४। सिय कालए य सुकिल्लए य ४ । सिय नीलए य लोहियए य ४। सिय नीलए य हालिहए य । सिय नीलए य सझिल्लए य । सिय लोहियए य हालिहए य । सिय लोहियए य सुकिल्लए यासिय हालिहए य सुकिल्लए य ४। एवं एए दस दुयासंजोगा भंगा पुण चत्तालीसं ४० । जइ तिवन्ने सिय कालए य नीलए य लोहियए य १, सिय कालए नीलए लोहियगा य २, सिय कालए य नीलगा य लोहियए य ३, सिय कालगा य नीलए य लोहियए य एए भंगा ४ । एवं कालनीलहालिहपहिं भंगा ४, कालनीलसुकिल्ल० ४, काललोहियहालिद्द० ४, काललोहियसुकिल्ल०४, कालहालिहसुकिल्ल० ४ । नीललोहियहालिहगाणं ४ भंगा, नीललोहियसुकिल्ल० ४, नीलहालिहसुकिल्ल० ४, लोहियहालिहसुकिल्लगाणं ४ भंगा । एवं एए दसतियासंजोगा, एक्के संजोए चत्तारि भंगा, सवे ते चत्तालीसं भंगा ४० । जई चउवन्ने सिय कालए नीलए लोहियए हालिहए य १, सिय कालए नीलए लोहियए सुकिल्लए २, सिय कालए नीलए हालिइए सुकिल्लए ३, सिय कालए लोहियए हालिद्दए सुकिल्लए ४, सिय नीलए लोहियए हालिहए सुकिल्लए य ५ । एवमेते चउकगसंजोए पंच भंगा। एए सवे नउड भंगा।
जह एगगंधे सिय सुब्भिगंधे १ सिय दुम्भिगंधे य २, जइ दुगंधे सिय सुब्भिगंधे य सिय दुन्भिगंधे य ४ । रसा जहा वन्ना । जइ दुफासे जहेव परमाणुपोग्गले ४ । जइ तिफासे सच्चे सीए देसे निद्धे देसे लुक्खे १, सवे सीए देसे निद्धे देसा लुक्खा २, सधे सीए देसा निद्धा देसे लुक्खे ३, सच्चे सीए देसा निद्धा देसा लुक्खा ४, सो उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे। एवं भंगा ४, सो निद्धे देसे सीए देसे उसिणे ४, सो लुक्खे देसे सीए देसे उसिणे ४। एए तिफासे सोलस भंगा।
अनेक देशो लीला होय ४. (२) अथवा कदाच एक अंश काळो अने एक अंश रातो होय. अहिं पण पूर्वनी पेठे चार भांगा करवा ४. (३) कदाच एक अंश काळो अने एक अंश पीळो होय ४. (४) कदाच एक अंश काळो अने एक अंश धोळो होय ४. (५) कदाच एक अंश लीलो अने एक अंश रातो होय १. (६) कदाच लीलो अने पीळो होय ४. (७) कदाच लीलो अने धोळो होय ४. (८) कदाच रातो अने पीळो होय ४. (९) कदाच रातो अने धोळो होय १. (१०) कदाच पीळो अने धोळो होय ४. ए प्रमाणे आ दश द्विकसंयोगना चालीश भांगा थाय छे. जो ते त्रण वर्णवाळो होय तो कदाच (१) काळो, लीलो अने रातो होय १. अथवा एक देश काळो, एक देश लीलो अने अनेक देशो राता होय २. अथवा एक देश काळो, अनेक देशो लीला अने एक देश रातो होय ३. अथवा अनेक देशो काळा, एक देश लीलो अने एक देश रातो होय १. ए प्रमाणे एक त्रिकसंयोगनी चतुभंगी जाणवी. एज प्रमाणे (२) काळा, लीला अने पीळा वर्णना ४, (३) काळा, लीला अने धोळा वर्णना ४, (४) काळा, राता अने पीळा वर्णना ४, (५) काळा, राता अने धोळा वर्णना ४, (६) काळा, पीळा अने धोळा वर्णना ४. (७) अथवा लीला, राता अने पीळा वर्णना ४, (८) अथवा लीला, राता अने धोळा वर्णना ४, (९) अथवा लीला, पीळा अने धोळा वर्णना ४, (१०) अथवा कदाच राता, पीळा अने धोळा वर्णना ४. ए प्रमाणे दश त्रिकसंयोग थाय छे अने एक एक त्रिकसंयोगमां चार चार भांगा थाय छे. ए बधा मळीने चालीश भांगा थाय छे. जो ते चार वर्णवाळो होय तो कदाच काळो, लीलो, रातो अने पीळो होय १. कदाच काळो, लीलो रातो अने धोळो होय २. अथवा कदाच काळो, लीलो, पीळो अने धोळो होय ३. अथवा कदाच काळो, रातो, पीळो अने धोळो होय ४. अथवा कदाच लीलो, रातो, पीळो अने धोळो होय ५. ए प्रमाणे ए बधा मळीने चतुष्कसंयोगना पांच भांगा थाय छे अने बधा मळीने वर्णने आश्रयी ने, भांगा थाय छे. वर्णने आश्रयी ५०
जो ते चतुःप्रदेशिक स्कन्ध एक गंधवाळो होय तो कदाच सुगंधी होय अने कदाच दुर्गधी होय २. जो बे गंधवाळो होय । तो ते कदाच सुगंधी अने दुर्गधी होय १. (कुल छ भांगा थाय.) जेम वर्णोना भांगाओ कंह्या तेम रसोना ९० भांगाओ जाणवा. रसने आश्रयी ९० जो बे स्पर्शवाळो होय तो तेना परमाणुपुद्गलनी पेठे (चार) भांगा कहेवा. जो ते त्रण स्पर्शवाळो होय तो सर्व शीत होय अने तेनो
भांगाओ. एक देश स्निग्ध अने एक देश रुक्ष होय १. अथवा सर्व शीत होय अने तेनो एक देश स्निग्ध अने अनेक देशो रुक्ष हो अथवा सर्व शीत होय अने अनेक देशो स्निग्ध अने एक देश रुक्ष होय ३. अथवा सर्व शीत होय अने अनेक देशो स्निग्ध अने अनेक देशो रुक्ष होय ४. (२) कदाच सर्व उष्ण होय अने एक देश स्निग्ध अने एक देश रुक्ष होय ४. (३) अथवा सर्व स्निग्ध होय अने एक
___भांगाओ.
*४ रसना द्विकसंयोगी अने त्रिकसंयोगी दश दश भांगाओ थाय छे, अने एक एक संयोगमा एकवचन अने अनेकवचन वडे चतुर्भगी थवाथी वेने चार गुणा करतां तेना कुल ८. भांगा थाय छे. चतुःसंयोगी भांगाओ
१ तीखो-२ कडवो-३ तूरो-४ खाटो. १ तीखो-२ कडवो-३ तूरो-५ मीठो १ तीखो-२ कडवो-४ खाटो-५ मीठो १तीखो-३ तूरो-४ खाटो-५ मीठो
२ कडवो-३ तूरो-४ खाटो ५ मीठो ए प्रमाणे चतुःसंयोगी पांच भांगाओ अने असंयोगी पांच भागाओ मेळवता रसना कुल ९० मांगाओ जाणवां.
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