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श्रीरायचन्द्र-जिनागमसंग्रहे
शतक ८.-उद्देशक २० २३. [प्र०] से किं तं विभंगनाणे ? [उ०] विभंगनाणे अणेगविहे पण्णते, तं जहा-गामसंठिए, नगरसंठिए, जाव सन्निवेससंठिए, दीवसंठिए, समुहसंठिए, वाससंठिए, वासहरसंठिए, पवयसंठिए, रुक्खसंठिए, थूभसंठिए, हयसंठिए, गयलठिए, नरसंठिए, किन्नरसंठिए, किंपुरिससंठिए, मेहोरगसंठिए, गंधवसंठिए, उसभसंठिए, पसु-पसय-विहग-यानरणाणासंठाणसंठिए पण्णत्ते।
२४. [प्र०] जीवाणं भंते! किं नाणी अन्नाणी? [उ.] गोयमा! जीवा नाणी वि अन्नाणी वि; जे नाणी ते अत्येगतिया दुनाणी, अत्थेगतिया तिनाणी, अत्थेगतिया चउनाणी, अत्थेगतिया एगनाणी । जे दुनाणी ते आभिणिबोहियनाणी य सुयनाणी य । जे तिन्नाणी ते आभिणिबोहियनाणी, सुयनाणी, ओहिनाणी; अहवा आभिणिबोहियनाणी, सुयणाणी, मणपज्जवनाणी । जे चउनाणी ते आभिणियोहियनाणी, सुयनाणी, ओहिनाणी, मणपजवनाणी । जे एगनाणी ते नियमा केवलनाणी। जे अन्नाणी ते अत्थेगतिया दुअन्नाणी, अत्थेगतिया तिअन्नाणी । जे दुअन्नाणी ते मइअन्नाणी सुयअन्नाणी य । जे तिअन्नाणी ते मइअन्नाणी, सुयअन्नाणी, विभंगनाणी।
२५. प्र०] नेरइया णं भंते! किंणाणी, अन्नाणी? [उ०] गोयमा! नाणी वि, अन्नाणी वि । जे नाणी ते नियमा तिनाणी, तं जहा-आमिणिबोहियणाणी, सुयनाणी, ओहिनाणी । जे अन्नाणी ते अत्थेगतिया दुअन्नाणी, अत्थेगतिया तिसनाणी; एवं तिन्नि अन्नाणाणि भयणाए । ___ २६. [४०] असुरकुमारा णं भंते ! किं नाणी, अन्नाणी ? [उ०] जहेव नेरइया तहेव, तिन्नि नाणाणि नियमा, तिनि य अन्नाणाणि भयणाए, एवं जाव थणियकुमारा।
___२७. [प्र०] पुढविक्काइया णं भंते ! किं नाणी, अनाणी ? [उ०] गोयमा ! नो नाणी, अन्नाणी । जे अन्नाणी ते नियमा दुअन्नाणी-मइअन्नाणी य सुयअन्नाणी य । एवं जाव वणस्सइकाइया ।
विभगवान २३. [प्र०] हे भगवन् ! विभंगज्ञान केवा प्रकारचें कह्यु छे! [उ०] *विभंगज्ञान अनेक प्रकारचें कहुं छे, ते आ प्रमाणे-प्रामने
आकारे, वर्ष (भारतादिक्षेत्र )ने आकारे, वर्षधरपर्वतने आकारे, पर्वतने आकारे, वृक्षना आकारे, स्तूपना आकारे, घोडाना आकारे, हाथीना आकारे, मनुष्यना आकारे, किंनरना आकारे, किंपुरुषना आकारे, महोरगना आकारे, गंधर्वना आकारे, वृषभना आकारे, पशु, पिसय,
पक्षी अने वानरना आकारे-ए प्रमाणे अनेक आकारे विभंगज्ञान कहेलु छे. शानी भने अज्ञानी. २४. [प्र०] हे भगवन् ! शुं जीवो ज्ञानी छे के अज्ञानी छे ! [उ०] हे गौतम ! जीवो ज्ञानी पण छे अने अज्ञानी पण छे. जे
जीवो ज्ञानी छे तेमां केटलाएक बे ज्ञानवाळा, केटलाएक त्रण ज्ञानवाळा, केटलाक चार ज्ञानवाळा अने केटलाक एक ज्ञानवाळा छे.जे बे ज्ञानवाला छे ते मतिज्ञान अने श्रुतज्ञानवाळा छे. जे त्रण ज्ञानवाळा छे ते मतिज्ञान, श्रुतज्ञान, अने अवधिज्ञानवाळा छे, अथवा मतिज्ञान, श्रुतज्ञान अने मनःपर्यवज्ञानवाळा छे. जे चारज्ञानवाळा छे ते मतिज्ञान, श्रुतज्ञान, अवधिज्ञान अने मनःपर्यवज्ञानवाळा छे. जे एक ज्ञानवाळा छे ते अवश्य एक केवलज्ञानवाळा छे. जे जीवो अज्ञानी छे तेमां केटलाक बे अज्ञानवाळा अने केटलाक त्रण अज्ञानवाळा छे. जे वे
अज्ञानवाळा छे ते मतिअज्ञान, अने श्रुतअज्ञानवाळा छे, अने जेओ त्रण अज्ञानवाला छे तेओ मतिअज्ञान, श्रुतअज्ञान, अने विभंगज्ञानवाळा छे. नैरयिको. २५. [प्र०] हे भगवन् ! नारको शुं ज्ञानी छे के अज्ञानी ? [उ०] हे गौतम ! नारको ज्ञानी पण छे अने अज्ञानी पण छे. तेमां जे
ज्ञानी छे ते अवश्य पत्रण ज्ञानवाळा होय छे, ते आ प्रमाणे-मतिज्ञान, श्रुतज्ञान अने अवधिज्ञानवाळा. जे अज्ञानी छे तेमा केटलाक वि
अज्ञानवाळा छे अने केटलाएक त्रण अज्ञानवाळा छे. ए प्रमाणे त्रण अज्ञानो भजनाए ( विकल्पे ) होय छे. असुरकुमारो. २६. [प्र०] हे भगवन् ! असुरकुमारो शुं ज्ञानी छे के अज्ञानी छ ? [उ०] जेम नैरयिको कह्या तेम असुरकुमारो जाणवा. अर्थात्
जेओ ज्ञानी छे तेओ अवश्य त्रण ज्ञानवाळा होय छे, अने जेओ अज्ञानी छे तेओ भजनाए त्रण अज्ञानवाळा होय छे. ए प्रमाणे यावत्
स्तनितकुमारो सुधी जाणवू. पृथिवीकायिक २७. [प्र०] हे भगवन् ! पृथिवीकायिको शुं ज्ञानी छे के अज्ञानी छे ? [उ०] हे गौतम ! तेओ ज्ञानी नथी पण अज्ञानी छे, अने
ते अवश्य बे अज्ञानवाला छे, मतिअज्ञानी अने श्रुतअज्ञानी. ए प्रमाणे यावत् वनस्पतिकायिक सुधी जाणवू.
महोरगगंधव संठिए ग। २ दुयनाणी क-ङ।
२३. * मिथ्यादर्शन मोहनीय कर्मना उदयथी विपरीत एवं अवधिज्ञान ते विभंगहान तेनो प्राम मात्र विषय होवाथी ते प्रामाकारे कहेवाय छे. ए प्रमाणे बीजा मेदो पण जाणी लेवा. पसय बे खरीवाळु जंगली चोपगुं प्राणी विशेष.-टीकाकार.
२५. सम्यग्दृष्टि नारकोने भवप्रत्यय अवधिज्ञान होय छे, तेथी तेओ अवश्य त्रज्ञानवाळा होय छे. जे अज्ञानी छे तेमा केटलाक वे अज्ञानवाळा छ, केमके कोइ असंज्ञी पंचेन्द्रिय तिर्यच नरकमा उत्पन्न थाय त्यारे तेओने अपर्याप्तावस्थामा विभंग न होवाथी बे अज्ञान होय छे, बने जो मिथ्यादृष्टि संझी पंचेन्द्रिय नरकमां उत्पन्न थाय तो तेओने अपर्याप्तावस्थामा पण विभंगज्ञान होय छे तेथी श्रण अज्ञान कया छे-टीकाकार.
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